नई दिल्ली: बीते वर्ष उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक केस में दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। उच्च न्यायालय ने पुलिस को घोंडा निवासी की अपील पर मुकदमा दायर करने को कहा था। इस शख्स ने बताया था कि दंगों के चलते उसकी आंख में गोली लगी थी। दिल्ली पुलिस ने एफआईआर रजिस्टर करने के आदेश का विरोध किया था। वही इस केस पर उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी की।
उच्च न्यायालय ने कहा, ऐसा दिख रहा है कि पुलिस ने अलग एफआईआर में अपराधियों के बचने के लिए मार्ग बनाया तथा दुख की बात है कि पुलिस अफसर अपनी जांच के चलते संवैधानिक कर्तव्य निभाने में विफल हो गए।' इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने भजनपुरा पुलिस पर पेनल्टी लगाई है। ये पेनल्टी SHO तथा अन्य वरिष्ठ अफसरों पर लगाया गया है। एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने इस ऑर्डर की कॉपी पुलिस कमिश्नर को भी भिजवाई है।
उन्होंने बताया कि इस केस की जांच और निगरानी का स्तर पुलिस कमिश्नर की दृष्टि में भी आना चाहिए। पुलिस की जांच हास्यास्पद रही। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से बोला कि इस मामले को देखते हुए सुधार के लिए फैसले लिए जाएं। वही अक्टूबर 2020 में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस से बोला था कि मो. नासिर की शिकायत पर 24 घंटे के अंदर एफआईआर दायर की जाए। नासिर ने अपनी शिकायत में बताया था कि 24 फरवरी 2020 को उसके ऊपर गोलीबारी की गई। एक गोली उसकी बाईं आंख में लगी थी। नासिर ने अपनी शिकायत में नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौर तथा अन्य व्यक्तियों को अपराधी बनाया था। इसके बड़ा भी जब कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई तो नासिर अदालत पहुंचे।
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