'बहन का निकाह है..' दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद ने मांगी जमानत, सफुरा-रिफाकत को मिल चुकी बेल

'बहन का निकाह है..' दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद ने मांगी जमानत, सफुरा-रिफाकत को मिल चुकी बेल
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भड़के हिंदू विरोधी दंगों के आरोपित उमर खालिद को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2022 में नियमित जमानत देने से मना कर दिया था। अब उसने अपनी ‘बहन की निकाह’ का हवाला देकर दो हफ्ते की अंतरिम जमानत देने लिया है। इस संबंध में कड़कड़डूमा कोर्ट में 25 नवंबर को सुनवाई होने वाली है। वैसे इस प्रकार के आधार पर जमानत की गुहार लगाने वाला उमर खालिद दिल्ली दंगों का पहला आरोपित नहीं है। रिफाकत अली और सफूरा जरगर भी इसी तरह की दलीलें देकर जमानत ले चुके हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, उमर खालिद ने यह याचिका 18 नवम्बर 2022 को कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर की है। खालिद की याचिका पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत सुनवाई कर रहे हैं। याचिका पर अदालत ने अभियोजन पक्ष से जवाब देने के लिए कहा है। उमर खालिद ने कहा है कि उसकी छोटी बहन का निकाह 28 दिसंबर को होने वाला है। 26 और 27 दिसंबर को निकाह से संबंधित अन्य रस्में होने वाली हैं। लिहाजा उसे 20 दिसंबर 2022 से तीन जनवरी 2023 तक के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की जाए।

18 अक्टूबर को भी उमर खालिद ने जमानत याचिका लगाई थी, जो अभियोजन पक्ष के विरोध के बाद ठुकरा दी गई थी। दिल्ली हिंदू विरोधी दंगे के मामले में पुलिस ने खालिद को सितंबर 2020 में अरेस्ट कर लिया था। दंगों में सक्रिय भूमिका के आरोप में उस पर UAPA के तहत मामला दर्ज है। अप्रैल 2022 में भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने दंगों के मुख्य साजिशकर्ता उमर खालिद को जमानत देने से मना कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इस दौरान उसके बयान को भड़काऊ और विवादित माना था।

बता दें कि 23 जून 2020 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रेग्नेंट सफूरा जरगर को ‘मानवता के आधार’ पर जमानत दी थी। उससे पहले तीन दफा उसकी जमानत याचिका ठुकरा दी गई थी। इसी प्रकार सितम्बर 2021 में दिल्ली दंगों के एक अन्य आरोपित रिफाकत अली को भतीजी की निकाह के लिए दो हफ्ते की जमानत दी गई थी। बता दें कि, रिफाकत अली को भी जमानत कड़कड़डूमा कोर्ट के सेशन जज अमिताभ रावत ने ही दी थी और वही जज, उमर खालिद की याचिका पर भी सुनवाई कर रहे हैं। 

क्या था दिल्ली का हिन्दू विरोधी दंगा ?

बता दें कि, 2020 दंगों को हिन्दू विरोधी दंगे इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, दंगों का मुख्य आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन खुद कबूल चुका है कि, उसने हिन्दुओं को सबक सीखाने के लिए यह साजिश रची थी। उसने इलाके के CCTV तुड़वा दिए थे और अपने लोगों को लाठी-डंडों और हथियारों को इकठ्ठा करने के लिए कहा था।जबकि, दूसरी तरफ हिन्दुओं को यह पता ही नहीं था, कि उन पर हमला करने के लिए कई दिनों से तैयारी चल रही है। किसी भी अनहोनी की आशंका से बेफिक्र हिन्दुओं पर जब हमला हुआ, तो वे खुद को बचा भी न सके। हिंदुओं की दुकानों को आग के हवाले किया जाने लगा, लूटा जाने लगा और पत्थरबाजी चालू हो गई। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे। इसी हिन्दू विरोधी दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अफसर अंकित शर्मा की भी हत्या की गई थी, उनके शरीर पर चाक़ू के 400 निशान मिले थे। यानी नफरत इस हद तक थी कि, मौत होने के बाद भी अंकित को लगातार चाक़ू मारे जा रहे थे, उनकी लाश AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के घर के पास स्थित एक नाले से मिली थी। 

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