दिल्ली दंगा: भीड़ ने पीट-पीटकर की थी कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या, आरोपी मोहम्मद खालिद मणिपुर से गिरफ्तार, उगले कई राज़

दिल्ली दंगा: भीड़ ने पीट-पीटकर की थी कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या, आरोपी मोहम्मद खालिद मणिपुर से गिरफ्तार, उगले कई राज़
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मोहम्मद खालिद को मणिपुर से धर दबोचा है। 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के दौरान हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल हत्याकांड में खालिद आरोपित था। पुलिस ने उस पर एक लाख का इनाम भी घोषित कर रखा था। पुलिस की पूछताछ में उसने दंगों से पहले अपने घर पर सीक्रेट मीटिंग होने की बात स्वीकार की है। खालिद ने बताया है कि इसी बैठक में लाठी, लोहे के रॉड वगैरह इकट्ठा करने का फैसला हुआ था।

रिपोर्ट के अनुसार, क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर रवींद्र सिंह यादव ने जानकारी दी है कि, 'मोहम्मद खालिद के मणिपुर में छिपे होने का इनपुट मिला था। इस पर कार्रवाई करते हुए उसे भारत-म्यांमार बॉर्डर के पास से अरेस्ट किया गया। पूछताछ के दौरान उसने बताया है कि वर्ष 2020 में दिल्ली के चाँद बाग इलाके में हुए CAA-NRC विरोधी प्रदर्शन में वह अपने बड़े भाई मोहम्मद अयाज और अन्य लोगों के साथ शामिल था। दंगे के लिए उसके घर पर एक सीक्रेट बैठक हुई थी। इस मीटिंग में रास्ता जाम करने के लिए ईंट-पत्थर और हिंसा के लिए लाठियाँ और लोहे की रॉड जमा करने का फैसला लिया गया था।'

बता दें कि, हिंसा के दौरान दंगाइयों ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन की तरफ जाने वाली सड़क को ब्लॉक कर दिया था। साथ ही चाँद बाग में धरने वाली जगह पर बड़ी तादाद में भीड़ इकट्ठी कर वजीराबाद की सड़क को भी जाम करने का प्रयास किया गया था। जब पुलिस ने रोकने का प्रयास किया, तब मोहम्मद खालिद और उसके भाई अयाज सहित अन्य दंगाइयों ने पथराव करते हुए पुलिस पर अटैक कर दिया था। इसी हमले में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की जान चली गई थी और कई अन्य पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। कट्टरपंथियों की भीड़ ने हेड कांस्टेबल रतनलाल को पीट-पीटकर मार डाला था।  शाहदरा के तत्कालीन DCP अमित शर्मा और गोकुलपुरी के तत्कालीन ACP अनुज कुमार भी इस हमले में बुरी तरह घायल हुए थे। इनके साथ ही 50 अन्य पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं।

इस संबंध में पुलिस ने मोहम्मद खालिद और अन्य के खिलाफ दिल्ली के दयालपुर थाने में FIR दर्ज की थी। जिसके बाद से खालिद बीते 3 साल से फरार चल रहा था। दंगों में उसकी भूमिका और काफी समय से फरारी के चलते पुलिस ने उस पर 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया था। उसके भाई अयाज को इसी साल 21 जून को दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट किया था। अयाज हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के मास्टरमाइंड में शामिल है।

बता दें कि, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में फरवरी 2020 में दिल्ली में भीषण दंगे भड़के थे। दंगे में मुस्लिमों ने मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनाते हुए फायरिंग, पेट्रोल बम, चाकू, तलवार, पत्थरबाजी सहित कई तरह से हमले किए थे। इस दंगे में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। बता दें कि दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान 24 फरवरी 2020 को मुस्लिम भीड़ ने मौजपुर इलाके में पुलिस बल पर अटैक किया था। दिल्ली पुलिस के 42 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल इसी हमले में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 

दिल्ली दंगों को क्यों कहा जाता है हिन्दू विरोधी दंगा ?

बता दें कि, 2020 दंगों को हिन्दू विरोधी दंगे इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, दंगों का मुख्य आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन खुद कबूल चुका है कि, उसने हिन्दुओं को सबक सीखाने के लिए यह साजिश रची थी। उसने इलाके के CCTV तुड़वा दिए थे और अपने लोगों को लाठी-डंडों और हथियारों को इकठ्ठा करने के लिए कहा था। जबकि, दूसरी तरफ हिन्दुओं को यह पता ही नहीं था, कि उन पर हमला करने के लिए कई दिनों से तैयारी चल रही है। किसी भी अनहोनी की आशंका से बेफिक्र हिन्दुओं पर जब हमला हुआ, तो वे खुद को बचा भी न सके। हिंदुओं की दुकानों को आग के हवाले किया जाने लगा, लूटा जाने लगा और पत्थरबाजी चालू हो गई। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे। इसी हिन्दू विरोधी दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अफसर अंकित शर्मा की भी हत्या की गई थी, उनके शरीर पर चाक़ू के 400 निशान मिले थे। यानी नफरत इस हद तक थी कि, मौत होने के बाद भी अंकित को लगातार चाक़ू मारे जा रहे थे, उनकी लाश AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के घर के पास स्थित एक नाले से मिली थी। यहाँ तक कि, ताहिर हुसैन पर आरोप तय करने वाली कोर्ट खुद यह कह चुकी है कि, दंगाई भीड़ का मकसद केवल और केवल हिन्दुओं को मरना और उन्हें नुकसान पहुँचाना था। वहीं, तत्कालीन AAP पार्षद खुद यह कबूल चुका है कि, उनका मकसद हिन्दुओं को सबक सिखाना ही था। 

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