नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुए हिंदू विरोधी दंगों के आरोपित और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व स्टूडेंट उमर खालिद सहित 6 अन्य आरोपितों की जमानत याचिका पर गुरुवार भी दिल्ली की कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अमित प्रसाद ने कोर्ट में मुस्लिमों का साजिश के संबंध में बताया कि गवाहों ने गवाही दी है कि आरोपित मुस्लिमों के लिए एक अलग देश बनाना चाहते थे। इसी के कारण उन्होंने हिंसा भड़काने का षड्यंत्र रचा था।
One statement by a person named victor reads which has been recorded before the Magistrate reads - “Hinduon ko khatm karna hai” ke naare lagrahe the chand bagh mei: Prosecutor #DelhiRiots
— LawBeat (@LawBeatInd) February 3, 2022
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने 3 फरवरी को जारी जमानत की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की बेंच को बताया कि उनके पास गवाहों के रिकॉर्ड हैं, जिसमें एक आरोपितों ने कहा था कि ‘मुसलमानों के लिए अलग देश’ बनाना है। SPP ने कहा कि अब इसमें कुछ भी अस्पष्ट नहीं है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने डॉ अपूर्वानंद नाम के एक प्रोफेसर का एक और बयान पेश किया, जिसमें उन्होंने मजिस्ट्रेट के समक्ष कहा था कि दिल्ली दंगों के आरोपितों ने कथित तौर पर कहा था कि 'सरकार को झुकाना और, हिंदू-मुसलमान करना है।' इसके साथ ही प्रसाद ने विक्टर नामक एक और गवाह का रिकार्डेड बयान अदालत के सामने रखा। जिसमें लिखा था कई, 'चाँद बाग में ''हिंदुओं को खत्म करना है'' के नारे लग रहे थे।' पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने इस तरफ संकेत दिया कि अब आरोपितों के खिलाफ UAPA एक्ट और देशद्रोह के तहत एक्शन लेने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। SPP अमित प्रसाद ने कोर्ट में कहा कि, 'सभी आरोपितों की साजिश के प्रत्येक हिस्से में रोल प्ले करने की आवश्यकता नहीं होती। जब लोगों के बीच समझौता होता है तो वे एक-दूसरे के एजेंट बन जाते हैं।' उन्होंने कोर्ट में कहा कि कई लोग दंगे वाली जगहों से उमर खालिद को रिपोर्ट कर रहे थे।
We have shown to Court that there is a statement deposed before the Magistrate which says “Musalmano ka alag desh banana hai” and thus, there is enough to suggest an offences under #UAPA and sedition: Prosecutor #DelhiRiots
— LawBeat (@LawBeatInd) February 3, 2022
इसके साथ ही प्रॉसीक्यूटर ने ये भी कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन इन्ही आरोपितों में शामिल है। उस पर दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे भड़काने के लिए व्हाइट मनी को ब्लैक करने के भी इल्जाम है। बता दें कि इससे पहले बुधवार को पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि एक गवाह ने अपने बयान में कहा था कि, 'विरोध प्रदर्शन के लिए डंडे, पत्थर, लाल मिर्च और तेजाब जमा किए गए थे।' जिसपर अमित प्रसाद ने पुछा कि, आखिर एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में लाठी, डंडे और लाल मिर्च का क्या काम हो सकता है?
Funding came was from terrorist organisation. There are evidences of Tahir Hussain converting money from white to black. It is a very unusual thing, we have complete chain of evidence. Why was it needed to convert money to black? This money went to sites: Prosecutor #delhiriots
— LawBeat (@LawBeatInd) February 3, 2022
अमित प्रसाद ने कड़कड़डूमा कोर्ट को बताया कि, 'दिल्ली में दंगा भड़काने के लिए आतंकी संगठनों से फंडिंग हुई थी। ताहिर हुसैन के पैसे को ब्लैक से व्हाइट करने के भी सबूत हैं। यह बेहद असामान्य सी बात है कि हमारे पास सबूतों की एक पूरी चेन है। पैसे को ब्लैक करने की क्यों आवश्यकता पड़ी? यह पैसा साइटों पर गया।' इसके साथ ही अमित प्रसाद ने मजिस्ट्रेट के समक्ष इस बात की पुष्टि की, 'विरोध के लिए कुछ पैसे जामिया से आता था, कुछ आतंकवादी देते थे।' प्रसाद ने ये भी बताया कि दिल्ली दंगों की आरोपितों में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र मीरान हैदर को NGO ‘नई शिक्षा कल्याण संगठन’ से फंडिंग की गई थी। बहरहाल, अदालत ने फैसला लिया है कि वो इस मामले में अगले हफ्ते भी सुनवाई करेगा। इसके साथ ही पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कई अन्य प्रमाण भी पेश किए। गत वर्ष उमर खालिद ने खुद अपने आरोपों को स्वीकार किया था कि उसने मुस्लिम संगठनों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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