दिल्ली और मुंबई, भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण शहर हैं, लेकिन बारिश के मौसम में इनकी बाढ़ से निपटने की क्षमता अक्सर कमजोर नजर आती है। थोड़ी सी बारिश होते ही इन शहरों में जलभराव और बाढ़ की समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। इसके विपरीत, चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला जैसे शहर हैं जिन्होंने तकनीक की मदद से बारिश के पानी को प्रभावी तरीके से संभालने में सफलता पाई है।
चेन्नई में भी जलभराव की समस्या है, लेकिन इसने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शहर ने पहले 50 अंडरपास की मैपिंग की और निगरानी शुरू की। इससे नगर निगम को सही जगह पर सक्शन पंप लगाने में मदद मिली। इस तरह से चेन्नई ने समय पर कदम उठाकर बारिश के पानी को प्रभावी तरीके से संभाला और जलभराव की समस्या को काफी हद तक हल किया।
वडोदरा में 30 से ज्यादा निचले इलाके हैं जहाँ जलभराव की संभावना रहती है। बाढ़ की निगरानी के लिए शहर में एक- दो अधिकारियों की ड्यूटी लगी हुई है। इन 30 स्पॉट्स पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं जो रियल-टाइम में जलभराव की स्थिति को ट्रैक करते हैं। फायर ब्रिगेड ऑफिस इन कैमरों के माध्यम से बाढ़ की निगरानी करता है, जिससे जलभराव पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
कर्नाटक के दावणगेरे को राज्य का "मैनचेस्टर" कहा जाता है। यहाँ पहले पूरे शहर की नाले-नालियों का सर्वे किया गया। इस सर्वे से उन नालियों का पता चला जहाँ पानी जमा होता था। इसके बाद 69 किमी का स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज नेटवर्क बनाया गया। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC) को लागू करने के बाद पिछले चार सालों में यहाँ जलभराव की समस्या नहीं आई।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में साल के छह महीने बारिश होती है। यहाँ एक ही दिन में 200 एमएम बारिश हो जाती है। 2018 में यहाँ के ड्रेनेज सिस्टम की मैपिंग की गई। शहर में 340 किमी नाले-नालियों का नेटवर्क है और 50 किमी नालियों को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है। यहाँ फ्लड सेंसर के बजाय CCC का इस्तेमाल किया गया है। बिजली के खंभों पर रंगीन पट्टियाँ लगाई गई हैं और CCTV कैमरों से इन पर नजर रखी जाती है। यदि पानी पट्टी के लेवल को पार करता है, तो पानी निकालने वाले पंप चालू कर दिए जाते हैं।
भारत सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC) का उपयोग पूरे शहर की स्थिति को मॉनिटर करने के लिए किया जाता है। चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला ने जलभराव और बाढ़ से निपटने के लिए इसी तकनीक का उपयोग किया है। इस प्रणाली में शहर के डेटा और CCTV कैमरों के माध्यम से विभिन्न पॉइंट्स पर नजर रखी जाती है और आवश्यकता अनुसार त्वरित कार्रवाई की जाती है। इन सफल शहरों की कहानी यह दर्शाती है कि सही प्लानिंग और टेक्नोलॉजी के माध्यम से बड़े-बड़े शहर भी बाढ़ और जलभराव की समस्याओं से निपट सकते हैं। उम्मीद है कि दिल्ली और मुंबई भी इस दिशा में कदम बढ़ाएँगे और बारिश के पानी को बेहतर तरीके से संभालने में सफल होंगे।
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