नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने एक विवादास्पद घटना के बाद जिला न्यायाधीश अमन प्रताप सिंह को उनके पद से हटा दिया है। अमन प्रताप सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें अदालत में अशोभनीय व्यवहार करते हुए देखे गए। वीडियो में अमन प्रताप सिंह अपनी कुर्सी से खड़े होकर कोर्ट में मौजूद लोगों और न्यायालय के कर्मचारियों पर चिल्लाते हुए नजर आए। यह घटना अदालत की गरिमा और न्यायाधीश के पद की मर्यादा के खिलाफ थी, जिसके चलते उनकी इस हरकत पर कड़ी कार्रवाई की गई।
A viral WhatsApp video of a Delhi Judge - District Judge Aman Pratap Singh pic.twitter.com/uLteC69YBY
— Bar and Bench (@barandbench) September 20, 2024
सितंबर 2024 में वायरल हुए इस वीडियो के बाद, दिल्ली सरकार के कानून विभाग ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान यह भी पता चला कि अमन प्रताप सिंह के कार्यशैली में कई खामियां थीं। न केवल उनका व्यवहार अनुशासनहीन था, बल्कि वे अपने मामलों को समय पर नहीं निपटा रहे थे और नियमित रूप से अदालत में भी समय पर उपस्थित नहीं होते थे। इन गंभीर आरोपों के चलते दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया कि उन्हें उनके पद से हटाया जाए। अमन प्रताप सिंह को आखिरकार 10 अक्टूबर 2024 को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया। दिल्ली सरकार के कानून विभाग ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए यह निर्णय लिया, ताकि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सके और भविष्य में ऐसे अनुशासनहीन व्यवहार को रोका जा सके।
यह घटना न्यायपालिका की गरिमा और उसके पद पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती है। न्यायाधीशों से अपेक्षा की जाती है कि वे अदालत के नियमों और मर्यादा का पालन करें और निष्पक्षता व अनुशासन के साथ अपना कर्तव्य निभाएं। लेकिन अमन प्रताप सिंह का व्यवहार न्यायपालिका के इस आदर्श के विपरीत था। दिल्ली सरकार की इस कार्रवाई का उद्देश्य न्यायपालिका की स्वच्छता और न्यायिक प्रक्रियाओं की पवित्रता को सुनिश्चित करना है। अदालतों में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखना हर न्यायाधीश का कर्तव्य होता है, और किसी भी प्रकार का अशोभनीय आचरण न केवल अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है।
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