अहमदाबाद: दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना को गुजरात उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, गुजरात उच्च न्यायालय ने वीके सक्सेना के खिलाफ 21 वर्ष पुराने मारपीट के मामले में क्रिमिनल ट्रायल चलाए जाने पर रोक लगा दी है. गुजरात उच्च न्यायालय ने वीके सक्सेना के दिल्ली का LG पद पर रहने तक सक्सेना के खिलाफ क्रिमिनल ट्रायल पर रोक का आदेश दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के LG वीके सक्सेना और तीन अन्य वर्ष 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ मारपीट करने के मामले में आरोपी हैं. गुजरात के अहमदाबाद कोर्ट में ये केस चल रहा है. वीके सक्सेना ने अहमदाबाद के मजिस्ट्रेट कोर्ट में गुहार लगाते हुए दिल्ली के LG पद पर रहने तक क्रिमिनल ट्रायल रोकने की अपील की थी. लेकिन, अहमदाबाद कोर्ट ने वीके सक्सेना को राहत देने से मना कर दिया था. इसके बाद सक्सेना ने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था, जहाँ से वीके सक्सेना को दिल्ली के LG पद पर रहने तक के लिए क्रिमिनल ट्रायल से राहत मिल गई है.
बता दें कि, वीके सक्सेना के खिलाफ वर्ष 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ मारपीट का केस पेंडिंग है. इस मामले में वीके सक्सेना के अतिरिक्त तीन और लोग आरोपी हैं. ध्यान रहे कि, मेधा पाटकर को आम आदमी पार्टी (AAP) का करीबी भी माना जाता है और AAP सरकार की LG सक्सेना से तनातनी के बारे में सभी जानते हैं। हालाँकि, गुजरात उच्च न्यायालय वीके सक्सेना के खिलाफ क्रिमिनल ट्रायल पर रोक लगा दी है. ऐसे में अन्य 3 आरोपियों के विरुद्ध क्रिमिनल ट्रायल जारी रहेगा. बता दें कि, यह मामला साल 2002 का है यानी 21 साल पुराना.
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