नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद अब सबकी नजरें चुनाव आयोग पर है। चुनाव आयोग ने इस मामले पर मंगलवार को पहली अहम बैठक बुलाई, जिसमें आयोग ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से नए परिसीमन से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। आयोग अब गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर देगा। जानकारी के मुताबिक, आयोग जल्द ही केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर परिसीमन आयोग का गठन करेगा।
चुनाव आयोग की तरफ से राजनीतिक पार्टियों, स्थानीय लोगों से विचार के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जो बाद में सरकार को सौंपी जाएगी। मंगलवार को दो घंटे चली चुनाव आयोग की बैठक में परिसीमन के बारे में विस्तार पूर्वक विमर्श किया गया। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, दोनों चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक परिसीमन की पूरी रुप रेखा के बारे में आयोग की एक टीम ने मुख्य चुनाव आयुक्त अरोड़ा को एक प्रस्तुति भी दी है।
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में परिसीमन होते ही विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव होगा और यहां की विधानसभा क्षेत्रों का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आज तक कश्मीर का ही पलड़ा भारी रहा है, क्योंकि विधानसभा में कश्मीर की विधानसभा सीटें, जम्मू के मुकाबले ज्यादा रही हैं, लेकिन अब परिसीमन होने से जम्मू की विधानसभा सीटें बढ़ सकती है। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में कुल 87 सीटों पर चुनाव होता है। जिसमें 87 सीटों में से घाटी में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें हैं। परिसीमन में सीटों के बदलाव में आबादी और वोटरों की संख्या का भी ध्यान रखा जाता है। इसका राज्य की राजनीति पर प्रभाव पड़ना तय है।
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