भुवनेश्वर. विश्व हिंदू परिषद् न्यासी मंडल ने गुरुवार को अपने तीन दिवसीय समागम के दूसरे दिन ओडिशा सरकार से परिषद् के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की जांच के लिए बने दो न्यायिक जांच आयोग (पाणिग्रही और नायडू जांच आयोग) की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को कहा और साथ ही हत्या में शामिल दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की.
दरअसल ओडिशा सरकार ने दो न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. दिसंबर 2007 में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती पर हुए हमले की जांच के लिए बासुदेव पाणिग्रही आयोग का गठन हुआ था और जे एस नायडू जांच आयोग का गठन अगस्त 2008 में सरस्वती की हत्या के बाद किया गया था. इस मामले में माओवादी नेता सव्यसाची पांडा और उनके कुछ साथियों सहित 14 लोगों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया था लेकिन नौ आरोपी ही गिरफ्तार किए जा सके. 2013 में ओडिशा में फुलबनी की एक अदालत ने हत्या के दोषी माओवादी नेता उदय सहित आठ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
दरअसल 23 अगस्त 2008 को जन्माष्टमी की रात कंधमाल जिले में स्थित स्वामी लक्ष्मणानंद के जलेशपाटा आश्रम में उनकी और उनके शिष्यों की हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद कंधमाल और राज्य के अन्य भागों में सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हो गए थे.इस हिंसक अंघर्ष में सैकड़ों घर और चर्च जला दिए गए थे, अनेक लोग मारे गए थे, और हजारों लोग बेघर हो गए थे.
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