शामली। उत्तर प्रदेश के शामली के विधायक अशरफ अली और उनका निवास मनहर खेड़ा किला, वहां की जनता के बीच एक विवादास्पद विषय बन गया है। राजपूतों का दावा है कि यह किला उनके पूर्वजों का है। साथ ही उनके पूर्वजों की अस्थियां वहां पर पिछले 334 सालो से दफ़न हैं। राजपूत समाज के लोगों की मांग है कि इस किले को वीर राजपूतों की याद पर इसे एक स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाये। वहीं, विधायक अशरफ का कहना है कि, यह उनकी पैतृक संपत्ति है। उन्होंने इसपर कोई अवैध कब्ज़ा नहीं किया है, इसलिए वह इसे सरकार को नहीं सौपेंगे। अशरफ के इस बयान से क्रोधित होकर वहां के राजपूत समाज के लोगों ने बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर वहां पर अपनी मांग मनवाने के लिए प्रदर्शन किया था।
क्या हुआ था मनहर खेड़ा किले में 334 साल पहले ?
राजपूतों का दावा है कि, 334 साल पहले मुगलों ने मनहर खेड़ा किले पर हमला कर दिया था। दावे के मुताबिक, साल 1690 में जलाल खान ने राजा गोपाल सिंह के शासन में चालाकी से किले में प्रवेश कर लिया था। जिसके बाद मुगलों की चालाकी के सामने राजपूत कमज़ोर पड़ गए थे। तभी यह देख राजपुताना रानियां और बच्चीयों ने मुगलों से बचने के लिए, वहां के कुएं में मिलकर जौहर कर लिया था। जिसके बाद उनके 1,444 पूर्वजों की अस्थियां वहीं पर दबी रह गई थी।
क्या है राजपूत समाज की मांग ?
शामली के राजपूत समाज की मांग है की राज्य सरकार उस किले के कुएं की जांच करे और वहां दबी सभी अस्थियों को उन्हें सौंपा जाए। उनका कहना है की वह अपने पूर्वजों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना चाहते है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि, अगर दो महीने के भीतर वहां पर खुदाई नहीं हुई, तो शामली का पूरा हिन्दू समाज किले के अंदर घूसकर वहां पर प्रदर्शन करेगा। साथ ही, उन्होंने यह भी ऐलान किया कि जब तक उन्हें अस्थियां नहीं मलेगी, तब तक वह गंगा स्नान नहीं करेंगे।
इस मांमले पर हिंदू संगठन की ओर से विधायक शामली को किला खाली करने के लिए ज्ञापन दिया गया है। साथ ही, इस मामले में राजपूतो का क्रोथ देख शामली का प्रशासन भी इस मामले की जांच में लग गया है।