डिमेंशिया एक मानसिक बीमारी है. हम कई तरह की दवाइयों का सेवन करते है, कई बार तो अपनी मर्जी से भी खुद दवाइया चुन लेते है मगर हमे इस चीज की जानकारी नहीं होती कि दवाएं हमे डिमेंशिया का शिकार बना सकती है.
डिमेंशिया में मनुष्य की मानसिक समझ धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है, उसे भूलने की बीमारी हो जाती है. इसके साथ ही कई बीमारिया उसे घेरने लगती है. एलर्जी होने पर हम डॉक्टर की सलाह पर कई तरह की दवाइयों का सेवन करते है. आपको डॉक्टर से बातचीत में ये जरूर जानना चाहिए कि उस दवा में एंटीहिस्टामाइन तत्व की मात्रा अनियंत्रित तो नहीं है. इस तरह की दवाइयों का तीन वर्ष से लगातार सेवन कर रहे लोगो में डिमेंशिया होने के आसार दूसरे लोगो की तुलना में ज्यादा होते है.
नींद की गोली से डिमेंशिया बीमारी होती है. इसलिए बेहतर है नींद के लिए खान-पान और दिनचर्या में सुधार करे. नींद की गोलियों में जोल्पिडम, डायजेपम, क्लोनाजेपम, एल्पराजोलम और लोराजेपम जैसे सॉल्ट नींद को बढ़ावा देते हैं, साथ ही हमें डिमेंशिया की ओर ले जाते हैं.
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