भारतीय होते हुए भी बांग्लादेश में रहने को मजबूर हैं ये 150 परिवार, सरकार ने बनाई ये योजना

भारतीय होते हुए भी बांग्लादेश में रहने को मजबूर हैं ये 150 परिवार, सरकार ने बनाई ये योजना
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गुवाहाटी: असम में बांग्लादेश की बॉर्डर पर 150 से अधिक ऐसे परिवार हैं, जिन्हें बाड़ के दूसरी ओर रहना पड़ रहा है और बगैर इजाजत वे भारत में आ भी नहीं सकते। करीमगंज के पास इंटरनेशनल बॉर्डर पर रहने वाले इन परिवारों के पुनर्वास के लिए सरकार कोशिश कर रही है। इन लोगों से जिले के डिप्टी कमिश्नर ऑफिस में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। 

बता दें कि करीमगंज जिले से 93 किमी का भारत-बांग्लादेश बॉर्डर लगता है। कुछ वर्ष पूर्व ही इस इलाके में बाड़बंदी की गई थी। बॉर्डर पर 9 गांव ऐसे हैं जो कि भारत के हैं, मगर उन्हें भारत आने के लिए बॉर्डर सिक्योरिटी फाॅर्स (BSF) से अनुमति लेनी पड़ती है। ये नौ गांव हैं, गोबिंदापुर, लातूकांडी, जारा पाता, लाफासेल, लामजुआर, महिसाशन, कोरनाग, देओताली और जोबैनपुर। करीमगंज जिला प्रशासन ने हाल ही में इन गांवों में रहने वाले परिवारों के लिए एक पत्र जारी करते हुए कहा है कि वे डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर में 30 जून दस्तावेजों के साथ तक रिपोर्ट करें। 

यह भी कहा गया है कि यदि निर्धारित वक़्त के भीतर लोग रिपोर्ट करते हैं तो वे मुआवजे का भी दावा कर सकते हैं। असम सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी देव ग्यानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस मामले में एक मीटिंग की गई। इस साल ही यह मामला सॉल्व कर लिया जाएगा और सरकार के पास दो योजनाएं हैं। 

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