एचएस प्रणय का बड़ा बयान, कहा- "टखने में चोट के बावजूद मैं हार नहीं मानने..."

एचएस प्रणय का बड़ा बयान, कहा-
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टखने में चोट के बाद भी अपने करियर की सबसे यादगार जीत में से एक दर्ज करने के उपरांत इंडियन बैडमिंटन खिलाड़ी HS प्रणय ने बोला है कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की मानसिकता ने उन्हें थॉमस कप सेमीफाइनल में डेनमार्क पर शानदार जीत अपने नाम करने के हौसला बढ़ाया है। प्रणय ने निर्णायक एकल मैच में शानदार प्रदर्शन किया जिससे इंडियन पुरुष टीम ने शुक्रवार को यहां डेनमार्क पर 3-2 से जीत के साथ इतिहास रच चुके है।

इंडियन टीम पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब हो चुकी है। विश्व के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के विरुद्ध प्रणय को कोर्ट पर फिसलने की वजह से टखने में चोट भी लगी लेकिन इस इंडियन ने ‘मेडिकल टाइमआउट' लेने के उपरांत मुकाबला जारी रखा। वह कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे लेकिन इस परेशानी के बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर इंडिया का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कर लिया है।

प्रणय ने मुकाबले के उपरांत बोला है कि मानसिक रूप से मेरे दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं। फिसलने के उपरांत मुझे सामान्य से ज्यादा दर्द महसूस हो रहा था और मैं ठीक से चल भी नहीं कर पा रहे थे। मैं सोच रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करना जरुरी है। मेरे दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी, मैं  बस प्रयास करके देखना चाहता था कि चीजें किस तरह से चल रही है। मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े। मेरा दर्द दूसरे गेम के दौरान कम होने लगा था और तीसरे गेम के दौरान मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा था।

इंडियन टीम 1979 के उपरांत से कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई थी। लेकिन उसने जुझारू जज्बा दिखाते हुए 2016 के चैम्पियन डेनमार्क को शिकस्त दे दी है। प्रणय ने बोला है कि मेडिकल टाइमआउट के उपरांत कोर्ट में जाकर उनकी योजना अपने प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाए रखने की थी और इसने उनके पक्ष में भी काम कर चुके है। उन्होंने बोला है कि हमने दूसरे और तीसरे गेम में जिस रणनीति का उपयोग कर चुके है, वह बहुत अहम् था। रणनीति दबाव बनाए रखने की थी और मुझे पता था कि अगर मैं दूसरे हाफ में अच्छी बढ़त बनाता हूं तो मुकाबले में बने रहने का एक और अवसर भी मिलने वाला है।

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