1970 और 1980 के दशक में मलयालम भाषा में अपनी नोवेल्स से ख्याति प्राप्त करने वाले कोट्टायम पुष्पनाथ का आज बुधवार को केरल के कोट्ट्याम में निधन हो गया है. बुधवार को सुबह 10 बजे अपने जीवन की आखिरी साँस लेने वाले कोट्टायम पुष्पनाथ का असली नाम पुष्पनाथन पिल्लई है, लेकिन लोग और पूरा जगत उन्हें कोट्टायम पुष्पनाथ के नाम से जानता है.
पुष्पनाथ मलयालम भाषा में लिखे गए अपने जासूसी उपन्यासों के लिए जाने जाते है, अपने पुरे जीवन में 300 से ज्यादा नावेल लिखने वाले पुष्पनाथ उस दशक में मलयालम भाषा में शेरलॉक होम्स को टक्कर देते थे, उनकी लेखनी में एक जादू है जो उन्हें सबसे अलग बनाता है. पुष्पनाथ के ढेरों नावेल ऐसे है जिनका कई भाषाओँ जैसे तमिल,तेलगु, अंग्रेजी आदि में अनुवाद हो चूका है, साथ ही कई नोवेल्स पर फ़िल्में भी बन चुकी है. पुष्पनाथ को मुख्य रूप से इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ब्रैम स्टोकर के 'ड्रैकुला' का अनुवाद मलयालम भाषा में किया था.
अपने जीवन में एक शिक्षक रहे पुष्पनाथ उस समय काफी चर्चा में रहे है जब उन्होंने अपना पहला नावेल 'चुवन्ना मनुष्यान' लिखा था. हाल ही में तीन हफ्ते पहले कोट्टायम पुष्पनाथ के बेटे की किसी कारणवश मौत हो गई थी उसके बाद ही आज सुबह कोट्टायम पुष्पनाथ भी नहीं रहे, साउथ के साहित्यिक जगत के साथ पुरे हिंदुस्तान के लिए ये एक बेहद ही दुखी कर देने वाली खबर है कि 80 साल की उम्र साहित्य का एक सितारा हमारे बीच नहीं रहा लेकिन फिर भी एक तारा बनकर हमेशा वो ऐसे ही हमारे दिलों में चमकते रहेंगे.
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