काशी में आज मनेगी देव दिवाली, तमिल संस्कृति के अनुसार ये है मान्यता

काशी में आज मनेगी देव दिवाली, तमिल संस्कृति के अनुसार ये है मान्यता
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काशी: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में चल रहे काशी-तमिल संगमम् में आज यानी मंगलवार (6 दिसंबर) को काशी की दूसरी देव दीपावली मनाई जाएगी। यह दीपावली उत्तर के चंद्र पंचांग नहीं बल्कि दक्षिण के सौर पंचांग के मुताबिक, तमिल कार्तिक पूर्णिमा को होगी। बता दें कि, दक्षिण में धूमधाम से मनाए जाने वाले इस उत्सव को ‘कार्तिगई दीपम उत्सव’ कहा जाता है। कार्तिक मास परंपराओं के मुताबिक, उत्तर और दक्षिण में अधिक दूरी नहीं है। 

बता दें कि, उत्तर भारत में कार्तिक में पूरे महीने दीप जलाए जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली के तौर पर दीपोत्सव मनाया जाता है। चंद्र पंचांग के आधार पर दक्षिण भारत में भी यही रिवाज है। यहां कार्तिक मास उत्तर के कार्तिक के बाद पड़ता है। इस पूरे महीने में सूर्यास्त तक व्रत, मंदिरों में दीप जलाने और पूर्णिमा की रात दीपों से सजावट करने की परंपरा है। काशी-तमिल संगमम् के संयोजक पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री ने जानकारी दी है कि इस बार कार्तिगई दीपम उत्सव काशी में आयोजित हो रहा है। इस उत्सव के लिए संगमम् में आए तमिल मेहमानों के साथ काशीवासी तमिल परिवारों को भी आमंत्रित किया गया है। काशी हिन्दू विश्वविधयालय (BHU) के छात्र और तमिल कलाकार भी यहां पहुंचेंगे। एम्फी थिएटर स्थित आयोजन स्थल को हजारों दीपों से रोशन किया जाएगा। साथ ही दक्षिण की परंपरा के मुताबिक, पूजन और अतिशबाजी भी की जाएगी।

क्या है इसकी पौराणिक कथा:-

बता दें कि, जब प्रजापति ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच सर्वोच्च कौन को लेकर विवाद शुरू हुआ था, उस समय देवाधिदेव महादेव ज्वाला के रूप में उन दोनों के बीच प्रकट हुए थे। महादेव ने ब्रह्मा और विष्णु, दोनों को इस ज्वाला का ओर-छोर पता लगाने के लिए कहा और पहले लौटने वाले को सर्वश्रेष्ठ घोषित करने की बात कही। भगवान विष्णु वाराह रूप में नीचे की तरफ चले गए, जबकि ब्रह्मा ने हंस रूप धरकर ऊपर की ओर उड़ान भरी। लेकिन, विष्णु, ज्वाला रुपी महादेव का छोर न ढूंढ पाए, लेकिन ब्रह्मा थजम्पु नामक पुष्प लेकर लौटे और ज्वाला का ऊपरी छोर खोज लेने का दावा किया। महादेव ने ब्रह्मा का झूठ पकड़ लिया और ब्रह्मा को कभी न पूजे जाने का श्राप दिया। तमिल मान्यता के मुताबिक, ज्वाला स्वरूप में महादेव कार्तिगई के दिन ही प्रकट हुए थे।

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