आप सभी इस बात से बखूबी वाकिफ होंगे कि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है जो आज मनाई जा रही है. कहा जाता है भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के चार महीने बाद इसी दिन अपनी निंद्रा तोड़कर जाग गए थे. मान्यता है कि इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह भी कराया जाता है और इससे दांपत्य जीवन में प्रेम और अटूटता आती है. वहीं तुलसी विवाह के दौरान इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए वरना नुकसान और हानि हो सकती है. आइए जानते हैं.
1. कहा जाता है विवाह के समय तुलसी के पौधे को आंगन, छत या पूजास्थल के बीचोंबीच रखना चाहिए.
2. ध्यान रहे कि तुलसी का मंडप सजाने के लिए गन्ने का प्रयोग करें वरना लाभ नहीं होगा.
3. ध्यान रखे कि विवाह के रिवाज शुरू करने से पहले तुलसी के पौधे पर चुनरी जरूर चढ़ाएं लाभ होगा.
4. ध्यान रहे गमले में शालिग्राम रखकर चावल की जगह तिल चढ़ाएं और फिर उनकी पूजा शुरू करें.
5. इस दिन तुलसी और शालिग्राम पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं लाभ होगा.
6. वहीं अगर विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आपको आता है तो वह अवश्य बोलें.
7. ध्यान रहे कि विवाह के दौरान 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें.
8. वहीं प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और उसका वितरण करें.
9. अब पूजा खत्म होने पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें- उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा. इस लोक आह्वान का भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें.
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