देवभूमि उत्तराखण्ड के एक मंदिर में रावण से जुड़ी कुछ निशानियां आज भी मौजूद है। इसके अलावा उत्तराखंड के गोपेश्वर में दशोली गढ़ के वैरासकुंड में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने तप कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की स्कंद पुराण के केदार खंड में दसमोलेश्वर के नाम से वैरासकुंड क्षेत्र का उल्लेख किया गया है।वही वैरासकुंड में जिस स्थान पर रावण ने शिव की तपस्या की वह कुंड, यज्ञशाला और शिव मंदिर आज भी यहां विद्यमान है।
इसके अलावा वैरासकुंड के बारे में मान्यता है कि त्रेता युग में इसी स्थान पर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न कर सिद्धी प्राप्ति के लिए अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की रावण जैसे ही यज्ञकुंड में अपने दसवें सिर की आहुति देने लगा, तभी भगवान शिव प्रकट हो गए और रावण को सिर की आहुति देने से रोक लिया। वही इसी स्थान पर भोलेनाथ ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे बलशाली होने का वरदान दिया था। वही स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार इस स्थान पर पौराणिक और पुरातत्व महत्व की अनेक चीजें आज भी विद्यमान हैं।
कुछ समय पहले यहां खेत में खुदाई के दौरान एक अन्य कुंड मिला है, हालाँकि आस-पास खुदाई करने पर प्राचीन पत्थर निकलते हैं। इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि वैरासकुंड रावण की तपस्थली है। इसके अलावा बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि मान्यता है कि रावण ने चमोली जिले के वैरासकुंड में तप कर अपने नौ सिरों की यज्ञाहुति दी थी। पुराणों में भी रावण द्वारा हिमालय क्षेत्र में तप किए जाने का उल्लेख है।
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