नई दिल्ली: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान देविका रोतावन घायल हो गई थी और उन्होंने ही आतंकी अजमल कसाब की पहचान की थी। देविका रोतावन आखिरी बार अगस्त 2020 में उस समय चर्चा में आई थी, जब उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। कारण था कि EWS स्कीम के तहत महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें मकान देने का वादा किया था। उन्होंने बताया था कि उनका पूरा परिवार भारी आर्थिक तंगहाली से जूझ रहा है। लिहाजा उन्होंने घर के साथ-साथ कुछ ऐसा इंतज़ाम करने की गुहार लगाई थी, जिससे वह अपनी आगे की शिक्षा जारी रख सके।
बता दें कि देविका की आयु 22 साल है। जब 26/11 का हमला हुआ था वह महज 10 वर्ष की थी। देविका पुणे जाने के लिए अपने पिता और भाई के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) आई थी। यहीं आतंकियों की गोली उसके पैर में लगी। उसे घायल स्थिति में सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया। दो माह के अंदर 6 सर्जिकल ऑपरेशन हुए। 6 महीने बिस्तर पर गुजारने पड़े। स्वस्थ हुई तो अदालत गई और आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही दी थी। वह मुंबई आतंकी हमले के मामले में सबसे कम आयु की चश्मदीद गवाह थी।
उस वक़्त सरकार की तरफ से देविका को कई तरह की सुविधाएँ देने की घोषणा की गई थी, लेकिन बाद में इन्हें भूला दिया गया। देविका ने जब उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी उस समय बताया था कि, 'पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की तरफ से 10 लाख की सहायता राशि मिली थी जो मेरे टीबी के उपचार में खर्च हो गई। मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूँ, किन्तु जो वादे मुझसे किए गए थे, वे अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं।'
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