लखनऊ: रामनवमी के पुनीत अवसर पर बुधवार (17 अप्रैल, 2024) को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ किया गया। सूर्य भगवान की किरणों ने रामलला के मस्तक तक पहुँच कर उनके मुख को सुशोभित किया। इसे ‘सूर्य अभिषेक’ भी कहा जाता है। ऑप्टिक्स एवं मेकेनिक्स के जरिए भारत के वैज्ञानिकों ने ये कमाल किया है। इसके तहत सूर्य की किरणों को पाइप एवं दर्पण के जरिए सीधे राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला के मस्तक तक पहुँचाया गया।
बता दें कि ये कोई नई चीज नहीं है, बल्कि प्राचीन काल में ही कई मंदिरों में इस प्रकार का आर्किटेक्चर होता था कि सूर्य की किरणें देवता का अभिषेक करती थीं। अबकी IIT रूड़की के शोधकर्ताओं को ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तिलक का आकार 58 mm का था तथा दोपहर 12 बजे ढाई मिनट तक अभिषेक चला। गर्भगृह की छत से सूर्य की किरणों को मंदिर में प्रवेश कराया गया, जिसके लिए IR फ़िल्टर से लैस अपर्चर का उपयोग किया गया। दक्षिण दिशा से ये किरणें अंदर आईं। तत्पश्चात, 4 लेंस और 4 दर्पणों का एक नेटवर्क तैयार किया गया था, जिन्हें खास ऐंगल्स पर सेट किया गया ताकि रामलला के ललाट तक तिलक पहुँचे। पहले ही इसका ट्रायल कर लिया गया था। इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले लेंस और दर्पणों का उपयोग किया गया है। इन्हें उक्त उपकरण के गियरबॉक्स में लगाया गया था। पीतल और कांस्य की धातु का इस्तेमाल किया गया था। इस गियरबॉक्स को सूर्य पंचांग के हिसाब से सेट किया गया है, जिससे प्रत्येक वर्ष रामनवमी पर सटीक तरीके से ‘सूर्य तिलक’ का कार्यक्रम संपन्न हो सके।
वही रामलला के सूर्य तिलक के बाद CM योगी ने X पर लिखा- सत्यसंधान, निर्वानप्रद, सर्वहित, सर्वगुण-ज्ञान-विज्ञानशाली। सघन-तम-घोर-संसार-भर-शर्वरी नाम दिवसेश खर-किरणमाली॥ सूर्यकुल भूषण श्री रामलला के ललाट पर सुशोभित भव्य 'सूर्य तिलक' आज अखिल राष्ट्र को अपने सनातन गौरव से आलोकित कर रहा है।
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