हिन्दू धर्म में एकादशी का काफी महत्व होता है. महीने में दो बार एकादशी मनाई जाती है और हर एकादशी का अर्थ अलग होता है. ऐसे ही जुलाई माह में आने वाली एकादशी का खास महत्व है जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इसी के 4 महीने बाद देव उठनी एकादशी भी आती है, इन दोनों का बहुत महत्व माना जाता है. फ़िलहाल हम बात कर रहे हैं देव शयनी एकादशी की जो 23 जुलाई को पड़ने वाली है. आइये जानते हैं उसके बारे में.
देवशयनी एकादशी से करीब 4 महीने के लिए सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है यानि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक कोई मंगल कार्य नहीं होते. इसके बाद घर में कोई भी शादी विवाह जैसे काम नहीं किये जाते. कहा जाता है देव शयनी ग्यारस से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम के चले जाते हैं जिसके दौरान कोई मंगल कार्य नहीं किये जाते. कथाओं में ये भी कहा गया है जब तक भगवान विष्णु विश्राम पर होते हैं तब तक सारा भार भगवान शिव संभालते हैं. लेकिन जैसे ही देव उठनी एकादशी आती है सभी मंगल कार्य शुरू ही जाते हैं.
हिन्दू धर्म में इन चार महीनों को चार्तुमास के नाम से जाना जाता है. इस समय में जितना आप पूजा पाठ करेंगे उतना ही आपके लिए लाभकारी होगा. इसके लिए आप देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु जी की सोने, चांदी, तांबे या फिर पीतल की मूर्ति स्थापित करें और उसकी पूजा करें साथ ही घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को सफेद चादर के साथ पलंग पर शयन कराएं.
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