श्योपुर। आज से चातुर्मास की शुरूआत हो गई है। दरअसल आज देवशयनी एकादशी है मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में देव शयन करते हैं। ऐसे में मांगलिक व शुभ कार्य नहीं होते हैं इन कार्यों पर विराम लग जाता है। दरअसल अक्टूबर माह में देवउठनी एकादशी से मांगलिक आयोजन प्रारंभ हो सकेंगे। माना जाता है कि इस अवधि में भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं और सृष्टि संचालन का भार भगवान हर अर्थात् शिव जी पर रहता है।
उक्त अवधि में भगवत् कीर्तन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। बड़े पैमाने पर लोग पूजन व अन्य धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त हो जाते हैं। धार्मिक व ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार उक्त अवधि में विवाह, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश आदि कार्य नहीं हो सकेंगे। इस अवधि के बाद 31 अक्टूबर से वैवाहिक आयोजन फिर से प्रारंभ हो सकेंगे।
अर्थात चातुर्मास के बाद देवप्रबोधनी एकादशी से मांगलिक आयोजन हो सकेंगे। मान्यता है कि चातुर्मास में जैन समुदाय के संत जिन्हें जैनाचार्य या जैन मुनि कहा जाता है वे अपने विहार के दौरान जहां होते हैं वहीं ठहर जाते हैं। इस दौरान समाजजन जैनसंतों व मुनियों के सद्वचनों का लाभ लेते हैं। मान्यता के अनुसार इस अवधि में प्याज, लहसुन आदि तामसिक प्रकृति वाली खाद्यसामग्रियों को ग्रहण नहीं करेंगे।
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