नई दिल्ली: भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पहली बार ट्रांसजेंडर पायलटों को विमान उड़ाने की इजाजत दी है। बुधवार को इसको लेकर मेडिकल से जुड़ी गाइडलाइन जारी की हैं, जो ट्रांसजेंडर्स को देश में हवाई जहाज उड़ाने की इजाजत देगी। DGCA ने अपने सर्कुलर में कहा है कि जिन ट्रांसजेंडर कैंडिडेट्स ने अपनी हार्मोन थेरेपी पूरी कर ली है या फिर जिन्होंने 5 वर्ष पूर्व थेरेपी आरम्भ कर दी थी, वो विमानों को उड़ाने में सक्षम होंगे, बशर्ते उन्हें मानसिक स्वास्थ्य जांच परीक्षण से गुजरना होगा।
ट्रांसजेंडर्स कैंडिडेट्स के मेंटल हेल्थ टेस्ट, वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ द्वारा तय ब्लूप्रिंट पर आधारित होंगे। सर्कुलर में बताया गया है कि "जो ट्रांसजेंडर आवेदक बीते 5 वर्षों के अंदर हार्मोन थेरेपी ले रहे हैं या उनकी सर्जरी हुई है, उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के लिए जांच की जाएगी।"
गाइडलाइन के अनुसार, ट्रांसजेंडर्स कैंडिडेट्स को न सिर्फ मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक मूल्यांकन से गुजरना होगा, बल्कि किसी भी सर्जरी के बारे में अपने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के साथ-साथ सर्जन से भी सर्टिफिकेट देना होगा, जोकि पिछले एक वर्ष में किए गए टेस्ट पर आधारित होना चाहिए। अगर केंडिडेट इन सभी टेस्ट को क्लियर करेगा तभी उसे फिट घोषित किया जाएगा तथा कॉकपिट में बैठने की इजाजत दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जीवन भर हार्मोन थेरेपी पर रहने वालों को सिर्फ तभी भर्ती किया जाएगा, जब वे यह साबित कर सकें कि वे एक स्थिर खुराक तक पहुंच चुके हैं। DGCA के अनुसार, मेडिकल गाइडलाइंस सभी कैटेगरी के पायलट लाइसेंस के लिए लागू हैं। निजी पायलट का लाइसेंस, विद्यार्थी का पायलट लाइसेंस एवं वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस। हालांकि, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सिर्फ प्रथम अधिकारी के तौर पर उड़ान भरने की इजाजत दी गई है। अगर कोई ट्रांसजेंडर पायलट पायलट-इन-कमांड है, तो उनके सह-पायलट को उस मशीन पर 250 घंटे का अनुभव होना चाहिए।
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