साल 2019 में सोमवार यानी 10 जून को धूमावती जयंती है. ऐसे में हिन्दू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है और कहा जाता है इस दिन दस महाविद्या का पूजन करते हैं. इसी के साथ इस दिन विशेषकर काले तिल को काले वस्त्र में बांधकर मां धूमावती को चढ़ाने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है मां धूमावती के दर्शन से संतान और पति की रक्षा होती है और मां भक्तों के सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली देवी है. कहा जाता है परंपरा है कि इस दिन सुहागिनें मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं, बल्कि केवल दूर से ही मां के दर्शन करती हैं. इसी के साथ इस दिन धूमावती देवी के स्तोत्र का पाठ, सामूहिक जप-अनुष्ठान आदि करते हैं.
कैसा है धूमावती माता का स्वरूप : कहते हैं मां पार्वती का धूमावती स्वरूप अत्यंत उग्र है और मां धूमावती विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं. इसी के साथ मां धूमावती का वाहन कौवा है. इसी के साथ श्वेत वस्त्र धारण कर माता खुले केश रूप में होती हैं.
इस दिन कैसे करें माता धूमावती का पूजन - कहा जाता है मां धूमावती दस महाविद्याओं में अंतिम विद्या है, विशेषकर गुप्त नवरात्रि में इनकी पूजा होती है और धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करना चाहिए. इसी के साथ कहा जाता है इस दिन मां धूमावती की कथा का श्रवण करना चाहिए और पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि मां धूमावती की कृपा से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है तथा दु:ख, दारिद्रय आदि दूर होकर मनोवांछित फल मिल जाता है.
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