प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि धूमावती जयंती के तौर पर मनाया जाता है। धूमावती माता शिव जी द्वारा प्रकट की गई दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां धूमावती पार्वती माता का उग्र स्वरूप माना जाता है। उनका स्वरूप बड़ा मलिन तथा खतरनाक है। मां धूमावती सफेद वस्त्र धारण करती हैं तथा कौए पर सवार होती हैं। उनकी पूजा विधवा के तौर पर किया जाता है क्योंकि माता ने भूख से आतुर होकर महादेव को ही निगल लिया था। इस बार धूमावती जयंती 2021 18 जून को मनाई जाएगी। प्रथा है कि मां धूमावती के दर्शन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। पापियों को दण्डित करने के लिए वे प्रकट हुई थीं। ऋषि दुर्वासा, भृगु, परशुराम की मूल शक्ति धूमावती माता ही हैं। इनकी पूजा समस्यां से निजात पाने, रोग नाश करने, युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। अगर आपकी जिंदगी में कोई बड़ा खतरा है तो उससे निजात पाने के लिए आप धूमावती जयंती के दिन कामना के हिसाब से भिन्न-भिन्न चीजों से हवन कर माता को खुश कर सकते हैं।
1- कर्ज से निजात पाना चाहते हैं तो नीम की पत्तियों समेत घी से हवन करें।
2- पुराने रोग, बड़े खतरे को टालने के लिए मीठी रोटी व घी से हवन करें।
3- निर्धनता दूर करने के लिए गुड़ व गन्ने से हवन करें।
4- काल सर्प दोष तथा क्रूर ग्रह के दोष को ख़त्म करने के लिए जटामांसी तथा कालीमिर्च से हवन करें।
5- सौभाग्य प्राप्ति के लिए रक्तचंदन घिस कर शहद में मिलाएं तथा इसमें जौ मिलाकर हवन करें।
6- कारागार में फंसे मनुष्य को मुक्त करने के लिए काली मिर्च से हवन करें।
इन मंत्रों के जाप से भी पूरी होगी कामना:-
1- ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्
2- ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात
3- धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे, सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:
4- धूं धूं धूमावती ठ: ठ:
ध्यान रहे मां धूमावती की आराधना में तत्काल सावधानी की आवश्यकता होती है अन्यथा इसका विपरीत असर भी पड़ सकता है। इसलिए पूजन किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की निगरानी में ही संपन्न करें।
(नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था तथा लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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