आप सभी जानते ही होंगे कि नवरात्र आरम्भ हो चुका है. बीते 25 मार्च से नवरात्र का पर्व शुरू हो चुका है और यह पर्व सभी हिंदुओं के लिए मुख्य माना जाता है. यह पर्व नौ दिनो का होता है जिनमे मातारानी के भक्त उपवास रखते है और माँ के सामने अपनी कामना रखते हैं. जी दरअसल कहा जाता है इन दिनो में माँ को ख़ुश करने के लिए पूजन किया जाता है. ऐसे में आज माँ ब्रह्मचारिणी का दिन है. नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनके मंत्र, ध्यान स्त्रोत और कवच जो आपको आज केदिन जरूर पढ़ने चाहिए क्योंकि यह आपको लाभ दिलवा सकतेहैं. तो आइए जानते हैं इनके बारे में.
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
स्त्रोत
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
कवच मंत्र
त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी॥
कहा जाता है इन सभी का जाप करने से माँ खुश हो जाती हैं और मनचाहा वरदान देती हैं.
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