नई दिल्ली: मेलबर्न टेस्ट में भारत की 184 रनों की हार ने क्रिकेट के गलियारों में सवाल खड़े कर दिए हैं। हार की वजह जितनी ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों की बेहतरीन गेंदबाजी रही, उतनी ही विवादित अंपायरिंग भी रही। खासतौर पर यशस्वी जायसवाल का आउट होना एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यशस्वी जायसवाल ने भारतीय पारी को संभालने की कोशिश की और शानदार 84 रन बनाए, वे अपने शतक के करीब थे।
"I can see the ball has made contact with the gloves. Joel, you need to change your decision."
— 7Cricket (@7Cricket) December 30, 2024
And with that, Jaiswal is out! #AUSvIND pic.twitter.com/biOQP4ZeDB
मैच के पाँचवें और अंतिम दिन पैट कमिंस की एक बाउंसर पर उन्होंने हुक शॉट खेलने की कोशिश की। गेंद उनके बल्ले और ग्लव्स के पास से गुजरी, लेकिन रीप्ले में यह साफ नजर नहीं आया कि गेंद ने बल्ले या ग्लव्स को छुआ हो। ऑन-फील्ड अंपायर ने उन्हें नॉट-आउट दिया था। इसके बाद पैट कमिंस ने डीआरएस का सहारा लिया, और मामला तीसरे अंपायर के पास गया। लेकिन यहाँ से कहानी ने नया मोड़ लिया। तीसरे अंपायर, बांग्लादेश के शरफुद्दौला सैकत ने रीप्ले का कई बार विश्लेषण किया। स्निको मीटर पर कोई स्पष्ट आवाज नहीं थी, जो यह साबित करती कि गेंद बल्ले को लगी थी। इसके बावजूद उन्होंने यशस्वी को आउट करार दिया।
जायसवाल इस फैसले से हैरान रह गए। उन्होंने ऑन-फील्ड अंपायरों से चर्चा की, लेकिन फैसला पलटा नहीं गया। निराश जायसवाल को पवेलियन लौटना पड़ा। उस समय भारत का स्कोर 140 पर सात विकेट था, और जायसवाल के आउट होने के बाद टीम की बाकी उम्मीदें भी खत्म हो गईं। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि, क्या बांग्लादेशी अंपायर ने भारत के साथ अन्याय किया?
"In my view, that decision was out. The third umpire did make the correct decision in the end."
— 7Cricket (@7Cricket) December 30, 2024
- Simon Taufel on the process in using DRS, and why he believes the right decision was made #AUSvIND pic.twitter.com/ORbxqYyBcG
क्रिकेट के नियमों के अनुसार, जब कोई ठोस सबूत नहीं होता, तो बल्लेबाज को संदेह का लाभ (Benefit of Doubt) दिया जाता है। यहाँ ऐसा क्यों नहीं हुआ? रीप्ले में जायसवाल नॉट-आउट नजर आ रहे थे। अगर उन्हें आउट न दिया जाता, तो शायद भारतीय टीम की कहानी अलग हो सकती थी। यशस्वी ने पहले पारी में भी 82 रन बनाए थे और दूसरी पारी में उनके 84 रनों ने भारत की उम्मीदें जिंदा रखी थीं। ऋषभ पंत के साथ उनकी 88 रनों की साझेदारी ने मुकाबले को रोमांचक बना दिया था। लेकिन पंत के जल्दी आउट होने और जायसवाल के विवादास्पद तरीके से पवेलियन लौटने के बाद भारत की बल्लेबाजी बुरी तरह सिमट गई।
ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने भारत के आखिरी सात विकेट महज 34 रनों के भीतर गिरा दिए। पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क, नाथन लायन और स्कॉट बोलैंड ने घातक गेंदबाजी करते हुए भारत को 155 रन पर समेट दिया। मेलबर्न टेस्ट की इस हार ने भारत को न केवल श्रृंखला में पीछे कर दिया, बल्कि अंपायरिंग पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या तीसरे अंपायर का फैसला सही था? क्या जायसवाल को संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए था? और सबसे अहम, अगर जायसवाल क्रीज पर होते, तो क्या मुकाबले की तस्वीर अलग हो सकती थी? ये सवाल लंबे समय तक क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों के बीच चर्चा का विषय बने रहेंगे।