लखनऊ: समाजवादी पार्टी की नेता और कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से प्रत्याशी नसीम सोलंकी पर फतवा जारी हुआ है। यह फतवा उनके एक मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने के बाद बरेली के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शुक्रवार, 1 नवंबर 2024 को जारी किया। फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है, और नसीम सोलंकी को इस्लामिक नियमों के तहत तौबा करनी चाहिए। मौलाना ने स्पष्ट किया कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, अगर जानबूझकर बुतपरस्ती करता है, तो वह शरीयत की नजर में अपराधी है। उन्होंने सोलंकी को सलाह दी कि वे भविष्य में ऐसा न करें और दोबारा कलमा पढ़ें।
लिल्लाह !
— Er. Rajesh Singh (@Kumar1975Rajesh) November 2, 2024
उधर टोंटी भैया "जुड़ेंगे तो जीतेगें" कि माला जप रहे है !
इधर दिवाली के दौरान शिव मंदिर में "पूजा" करने वाले सपा उम्मीदवार "नसीम सोलंकी" के खिलाफ "मौलाना मुफ्ती शहाबु्दीन रजवी" बरेलवी ने "फतवा" जारी कर दिया !
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अब टोंटी भैया कुछ बोलेगें या फेविकाॅल पियेगें !
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घटना का विवरण है कि दीपावली के दिन, नसीम सोलंकी अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार कर रही थीं। इस दौरान वे एक मंदिर में गईं, जहां उन्होंने शिवलिंग पर जल चढ़ाया और हाथ जोड़े। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। नसीम सोलंकी ने अपने बयान में सफाई दी कि उन्होंने मंदिर में पूजा नहीं की थी, बल्कि अपने समर्थकों के कहने पर दीपावली के अवसर पर दीप जलाकर शुभकामनाएँ दी थीं। उन्होंने कहा कि वे अपने धर्म का सम्मान करती हैं और आगे से इस बात का ध्यान रखेंगी।
फतवे पर प्रतिक्रिया देते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने समाजवादी पार्टी पर कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने तंज कसते हुए कहा कि सपा ने जिस मज़हबी कट्टरता को प्रोत्साहन दिया, उसी का अब उसे सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक कट्टरता से किसी का भला नहीं हो सकता।
इस घटना के बाद मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुद्धिकरण भी किया गया। हरिद्वार से एक हजार लीटर जल मंगवाकर श्रद्धालुओं ने मंदिर को शुद्ध किया और सनातन धर्म की रक्षा की कामना की। शुद्धिकरण के दौरान ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाए गए और पुजारी ने सनातन धर्म के शत्रुओं के विनाश के लिए प्रार्थना की।
नसीम सोलंकी ने आगे कहा कि वे मंदिर में जाने के बावजूद अपने मजहब के प्रति वफादार हैं और मूर्ति पूजा को स्वीकार नहीं करतीं। साथ ही उन्होंने गुरुद्वारों और चर्चों में भी जाने की बात कही, यह स्पष्ट करते हुए कि वे सभी धर्मों का सम्मान करती हैं। हालाँकि, उनकी सफाई के बाद सोशल मीडिया पर उनके पहले किए गए समर्थन को लेकर भी चर्चाएँ जारी हैं।
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