दुनियाभर से आए दिन कई तरह के मामले सामने आते रहते है, ऑस्ट्रेलिया में एक लकवाग्रस्त रोगी ने हाथों का उपयोग किए बगैर, बिना बोले और बिना शरीर हिलाए पहली बार एक अपना सन्देश लिखा है. उन्होंने ये मैसेज ट्विटर पर भी साझा किया है, जिसे देखकर हर कोई दंग है. वही इस लकवाग्रस्त रोगी का नाम फिलिप ओ'कीफ है तथा वह 62 वर्ष के हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, ''हैलो, वर्ल्ड! छोटा ट्वीट, बड़ा अचीवमेंट.'' ये ट्वीट फिलिप ओ'कीफ ने सिंक्रॉन कंपनी के सीईओ थॉमस ऑक्सली के ट्विटर हैंडल से किया. इसके साथ-साथ फिलिप ओ'कीफ ने चिकित्सकों को 'दिमाग में पेपरक्लिप के प्रत्यारोपण के लिए' शुक्रिया अदा किया है. बता दें, सिंक्रॉन कंपनी ने उनके मस्तिष्क में माइक्रोचिप इम्प्लांट करके उन्हें अपनी सोच को शब्दों में बदलने की शक्ति दी है. फिलिप के मस्तिष्क में इंप्लांट की गई माइक्रोचिप मस्तिष्क के संकेतों को पढ़ती करती है. फिर ये संकेतों का विश्लेषण करती है तथा दिमाग के निर्देश को समझकर उसे शब्दों में परिवर्तित करती है.
वही फिलिप ने इस प्रणाली को बहुत आश्चर्यजनक बताया है. उनका कहना है कि जब उन्होंने पहली बार इस तकनीक के बारे में सुना, तो उन्हें बेहद खुशी हुई. इससे उन्हें अनुमान हो गया था कि इससे उनका काम कितना सरल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि ये मेरे लिए बाइक चलाना सीखने जैसा ही एक्सपीरियंस है. इसके लिए आपको बहुत प्रेक्टिस की आवश्यकता होती है. मगर एक बार जब आप इसे समझ लेते हैं तो आपके लिए ये तकनीक बहुत सरल हो जाती है तथा आप आराम से इसे उपयोग कर सकते हैं. थॉमस ऑक्सली ने कहा कि हमारा मकसद इस तकनीक के माध्यम से ऐसे लोगों को सुविधा उपलब्ध कराना है जो शारीरिक तथा मानसिक अक्षमता कि वजह से दूसरों के सहारे रहते हैं.
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