इंडिया में हर रोज अबॉर्शन से लगभग 8 महिलाओं की जान चली जाती है. महिलाओं की मौत की ये संख्या चौंकाने वाली है. मुझे नहीं पता कि आप में से कितने लोग इस सच से वाकिफ हैं, लेकिन हां नुसरत भरूचा की मूवी जनहित में जारी देखने के उपरांत ये फैक्ट गूगल जरूर करने वाले है. चलिये जानते हैं कि समाज को आईना दिखाने का दावा करती ये मूवी सबकी उम्मीदों पर कितनी खरी उतर पाई है.
फिल्म का प्लस पॉइंट क्या है: जनहित में जारी एक छोटे बजट की मूवी कही जा रही है, जो दमदार कहानी के साथ आपको पूरी मूवी देखने पर मजबूर कर देती है. मूवी के पंचलाइन काफी अच्छे हैं. जैसे- 'शादीशुदा मर्दे एक फटी चड्डी की तरह होता है, जिसकी एक टांग घरवालों के अंदर और दूसरी बीवी के पास होती है.' मूवी की कहानी समाज की दकियानूसी सोच को तोड़ती दिखाई दी है. कई सीन्स ऐसे हैं जो आपको हंसाने के साथ आंखों में आंसू तक ला सकते है. वहीं नुसरत भरूचा के अभिनय की भी तारीफ करनी होगी, जो वो अकेले अपने दम पर पूरी मूवी चलाने में सफल हुईं
कहां हुई गलती: इस बात में कोई दोराय नहीं है कि फिल्म आपको हंसाते-हंसाते बहुत बड़ी सीख भी दे रही है. पर मूवी में कुछ खामियां भी देखने के लिए मिली है. मूवी की स्टोरी लाइन ब्रेक करके दिखाई गई है. मूवी के कुछ सीन बहुत फेक लगते हैं कि जैसे कि रंजन का फौरन मनोकामना की मुहिम में साथ देना पड़ेगा. मूवी के अंत में ऐसा लगता है कि विजय राज कुछ खतरनाक करते नजर आने वाले है, लेकिन मूवी का अंत बहुत हल्का रहा. मूवी की गंभीर स्टोरी लाइन कभी रोमांस पर आती, तो कभी किसी दूसरे एंगल पर चली जाती है. बस इतना है कि टूटी हुई स्टोरीलाइन में भी ये फिल्म आपका मनोरंजन करने में कामयाब हो रही है. इसलिये आप पूरी मूवी अंत तक देखने पर मजबूर होते हैं.
जय बसंतू सिंह के निर्देशन में बनी मूवी का निर्देशन अच्छा था, लेकिन इसे और बेहतर भी किया जा सकता है. नुसरत भरूचा के साथ मूवी में अनुद सिंह ढाका, परितोष त्रिपाठी और विजय राज ने भी बेहतरीन काम किया है.
फैन ने कार्तिक से की जबलपुर आने की मांग तो बोले एक्टर- "अब ब्रेकअप पर नानी के घर..."
जहीर इकबाल संग शादी की ख़बरों पर आया सोनाक्षी का रिएक्शन
कभी तेज तो कभी धीमी पड़ती दिख रही है सम्राट पृथ्वीराज की कमाई