अक्सर हम कई बातों पर ध्यान नहीं देते हैं। क्योंकि हमे उसे जानने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ज़रूरत तो अभी भी नहीं है लेकिन पता तो होना चाहिए। जो चल रहा होता है उसे चलने देते हैं। ऐसी ही बातों में एक बात ये भी है कि अगर आपने ध्यान दिया हो तो कैलक्यूलेटर और मोबाइल फ़ोन के कीपैड आपको हमेशा अलग दिखेंगे। जबकि काम दोनों का एक ही है डिजिट्स को प्रिंट करना। तो क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है। नहीं सोचा ना। तो आइये आपको बताते हैं इसके बारे में।
आप जानते होंगे कि पहले के ज़माने में टेलीफोन नंबर घूमने वाले होते थे। और बात ये है कि घुमाने वाले डायल के बाद सबसे पहले अंकों की थ्री-बाई-थ्री सीरीज का प्रयोग एडिंग मशीन में किया गया था। इस मशीन के कीपैड में 1 के अंक को लेफ्ट साइड में सबसे नीचे रखा गया था। उस दौर में लगभग सभी दफ्तरों में इसका प्रयोग किया जाता था। लोगों को भी इस कीपैड को यूज़ करने में कोई परेशानी नही होती थी। इस वजह से बाकी मशीन, जिनमें डिजिट्स को टाइप करने की जरुरत होती, उनमें भी इसी कीपैड का यूज़ किया जाने लगा।
जब मोबाइल टेक्नोलॉजी में परिवर्तन आया तो इसके कीपैड में ही नया सर्च किया गया, कि जिस कीपैड में 1, 2, 3 डिजिट सबसे ऊपर वाली लाइन में होते हैं, उस तरह के कीपैड यूज़ करने में लोगों को ज़्यादा सहूलियत होती है। इसके अलावा इसकी वजह यह भी थी कि हम मोबाइल से फ़ोन करने के अलावा उससे Text लिखने का काम भी करते हैं। इस वजह से मोबाइल के कीपैड में डायल घुमाने वाले फ़ोन से टच स्क्रीन फ़ोन तक आते-आते कीपैड में 1 अंक लेफ्ट साइड में ऊपर आ गया। वहीं दूसरी तरफ़ कैलकुलेटर में गणना करने के अलावा किसी दूसरे काम के लिए कीपैड की जरुरत नहीं पड़ी।
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