नई दिल्ली: नोटबंदी (Demonitaztion) के बाद से ही डिजिटल ट्रांजेक्शंस (Digital Transaction) में तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना महामारी के संकट काल के दौरान तो डिजिटल ट्रांसक्शन की ग्रोथ ऐसी बढ़ी है कि अब पिछले कई महीनों से हर बार डिजिटल ट्रांजेक्शंस निरंतर नए रिकॉर्ड बना रहे हैं. ऐसे में 20 वर्षों में एक अपवाद को छोड़कर पहली बार दिवाली वाले सप्ताह में कागजी नोटों के चलन में गिरावट आई है. SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली वाले सप्ताह के दौरान देश में प्रचलित नोटों के मूल्य में 7,600 करोड़ रुपये की गिरावट रिकॉर्ड की गई है. SBI के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, लोगों की डिजिटल पेमेंट्स पर बढ़ती निर्भरता के कारण ये मुमकिन हो सका है.
SBI रिपोर्ट के अनुसार, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था अब एक संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. जिसके चलते इस तरह का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 2009 में भी दिवाली वाले सप्ताह के दौरान देश में नोटों के चलन में मूल्य के हिसाब से 950 करोड़ रुपये की गिरावट रही थी. किन्तु, उस समय ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के कारण आई मंदी के कारण ऐसा हुआ था. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तकनीक में तरक्की के बल पर भारतीय पेमेंट सिस्टम में बड़ा भारी परिवर्तन आया है. बीते कुछ वर्षों में नकदी पर आधारित इंडियन इकॉनमी अब स्मार्टफोन बेस्ड भुगतान अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गई है. रिपोर्ट में इकॉनमी को डिजिटलाइज करने के लिए सरकार के प्रयासों की भी प्रशंसा की गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि, इंटरॉपरेबल पेमेंट्स सिस्टम जैसे UPI, वॉलेट और PPI से पैसे का डिजिटल ट्रांसफर सुगम हो गया है. इससे डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी निरंतर बढ़ रही है. ऐसे में कुल भुगतान में डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी 2016 के 11.26 फीसदी के मुकाबले 2022 में बढ़कर 80 फीसद पर पहुंच चुकी है. 2027 तक इसकी हिस्सेदारी 88 फीसदी पर पहुंचने की संभावना है.
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