कोलकाता: दिलीप घोष पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बड़े नेता और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं. वे इस पद को उस समय संभाल रहे हैं जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का मानना है कि भाजपा का स्वर्ण युग तब तक नहीं आ पाएगा, जब तक पश्चिम बंगाल और केरल में भाजपा की सरकार नहीं बन जाती. लिहाजा घोष के सामने चुनौती बड़ी है. उन्हें अपना रणनीतिक कौशल साबित करना है और भाजपा को प्रदेश में 42 में से 23 लोकसभा सीटें जीतकर देनी है. दरअसल, भाजपा इस बार पश्चिम बंगाल में मिशन-23 को लक्ष्य मानकर चल रही है.
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उल्लेखनीय है कि दिलीप घोष का जन्म 1 अगस्त 1964 को बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के गोपीवल्लभपुर के समीप कुलिना ग्राम में हुआ था. चार भाइयों में दिलीप घोष दूसरे हैं, दिलीप घोष के पिता का नाम भोला नाथ घोष और माता का नाम पुष्पलता घोष है. पैतृक ग्राम में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह आगे की शिक्षा के लिए झारग्राम चले गए थे. 20 वर्ष की आयु में 1984 में उनकी जिंदगी में तब बड़ा मोड़ आया जब वे आरएसएस से जुड़े.
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दिलीप घोष भले ही अक्सर विवादित बयानों के कारण सुर्ख़ियों में रहे हों, किन्तु प्रदेश में भाजपा कैडर के बीच उनकी छवि एक फाइटर नेता की है. इसीलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर से उनपर विश्वास जताया है और उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है. 21 मार्च को भाजपा ने पश्चिम बंगाल के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए उन्हें मिदनापुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. इस सीट पर उनकी टक्कर टीएमसी के मानस भूइयां से है. सीपीआई के बिप्लब भट्ट भी इस लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं.
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