मुंबई: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक भारत के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का 38.3 फीसदी महाराष्ट्र से आया है, राज्य के निवासियों और कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3.84 लाख करोड़ प्रत्यक्ष करों का भुगतान किया है. प्रत्यक्ष करों में कॉरपोरेट टैक्स, व्यक्तिगत आयकर और अन्य कर जैसे उपहार कर, संपत्ति कर और प्रतिभूति लेनदेन कर आदि शामिल हैं.
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महाराष्ट्र सीधे कर संग्रह में राज्यों में पहले पायदान पर आता है क्योंकि देश की कई प्रमुख कंपनियों के मुख्यालय यहां हैं जबकि बॉलीवुड सितारों और क्रिकेटरों समेत कुछ उच्चतम व्यक्तिगत करदाता भी यहां निवास करते हैं. महाराष्ट्र के बाद दिल्ली ने 2017-18 में 1.36 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर चुकाया, जो 10 लाख करोड़ रुपये के अखिल भारतीय संग्रह का 13.66 प्रतिशत था.
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दिल्ली और महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जो कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये का कर देता है. 1.01 लाख करोड़ रुपये के कर के साथ, यह संग्रह का 10 प्रतिशत था. तमिलनाडु (67,583 करोड़ रुपये) और गुजरात (44,866 करोड़ रुपये) शीर्ष पांच करदाता राज्यों की सूचि में शामिल थे. अधिकारियों ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 80 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है.
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