ओम पुरी 'रामभजन जिंदाबाद' नामक फिल्म में काम कर रहे थे. जिसके निर्माता खालिद किदवई गुरुवार शाम को ओम पुरी के साथ थे. किदवई ने ओम पुरी के साथ उनकी मृत्यु के पहले बिताई शाम के बारे में बताया. "मैं कल शाम को साढ़े पांच बजे ओम पुरी के घर गया था. वहां उनका एक इंटरव्यू चल रहा था. इंटरव्यू खत्म होने के बाद उन्होंने ने मुझसे कहा कि एक समारोह है क्या हमारे साथ चलोगे. मैंने कहा कि मुझे निमंत्रण नहीं है, मैं कैसे जाऊं. फिर उन्होंने कहा कि अच्छा ठीक है मुझे वहां तक छोड़ दो."
आगे उन्होंने बताया, "उसके बाद हम कार से मनोज पाहवा के घर पहुंचे. वहां ओम पुरी जी का किसी से कुछ हॉट डिस्कशन हुआ. उसके बाद उन्होंने कहा कि चलो यहां से चलते हैं. साढ़े दस के करीब हम लोग वहां से चल दिए. अब ओम जी की अपने बेटे से मिलने की इच्छा हो रही थी. सोसाइटी के बाहर पहुंचने पर उन्होंने अपने बेटे इशांत को फोन किया. इशांत तब तक पार्टी में ही था. उसने कहा कि पार्टी में ही आ जाओ. तब ओम जी ने कहा कि नहीं मैं पार्टी में नहीं आऊंगा."
"ओम पुरी ने एक ड्रिंक ली और कहा कि अगर ड्रिंक खत्म होने तक बेटा नहीं आया तो चल देंगे. फिर हम कुछ देर बाद वहां से चल दिए. ओम जी बेटे को लेकर काफी भावुक थे. वो कह रहे थे कि पैसा, फ्लैट, नौकर सब कुछ मैं देता हूं, पर मुझे बेटे से मिलने नहीं देते. रात के साढ़े 11 बज गए थे. अब मेरे जाने का वक्त हो गया था. चलते वक्त वो मुझसे गले मिले. उन्होंने कहा, बेटा मुझे तुम पर गर्व है. मैं तुम्हारे साथ हूं. उसके बाद मैं कार से घर चला आया. जब मैंने कार पार्क की तो देखा कि सीट के नीचे ओम जी का पर्स गिरा था. मैंने सोचा कि अब रात 12 बजे में क्या फोन करना, सुबह फोन कर उन्हें पर्स गिरने की जानकारी दूंगा."
"फिर मैंने सुबह साढ़े छह बजे ओम पुरी जी को फोन किया. कोई जवाब नहीं मिलने पर मैंने उनके ड्राइवर को फोन किया और कहा कि ओम जी का पर्स ले जाना. आठ बजे करीब उनके ड्राइवर का फोन आया और उसने मुझे ओम जी के निधन की सूचना दी. एक तरह से उनका पर्स अभी मेरे पास निशानी के तौर पर है, जिसे मैं सही मौके पर उनके घरवालों तक पंहुचा दूंगा."
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