लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दुबग्गा में मौजूद एक अवैध मदरसे से 21 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। बच्चों ने बताया है कि मदरसे का मौलवी और हाफिज उनका ब्रेनवॉश करते थे। वह बच्चों को जन्नत जाने से जुड़ी बातें बततता था। मौलवी कहता था कि एक हाफिज अपने साथ 10 बच्चों को जन्नत ले जाता है। वहीं, हिंदुओं में गंदा काम करने वालों को पुनर्जन्म लेना पड़ता है। मदरसे से छुड़ाए गए 7 से 15 वर्ष इन बच्चों को फ़िलहाल मोहान रोड स्थित राजकीय बालगृह में रखा गया है।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉक्टर शुचिता चतुर्वेदी ने बताया है कि जैसे इन बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था, वह किसी बड़ी साजिश की तरफ संकेत कर रहा है। जो बच्चे सही तरीके से हिंदी तक नहीं बोल पाते हैं, वे 'पुनर्जन्म' बोल रहे हैं। हिंदू धर्म और इस्लाम में फर्क बता रहे हैं। शुचिता चतुर्वेदी ने आगे बताया कि इन बच्चों को इस्लामी तालीम दी जा रही थी और जन्नत के सपने दिखाए जा रहे थे। इन बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से अलग रखा जा रहा था। चतुर्वेदी ने सूबे के मुख्य सचिव को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने एक समिति बनाकर इसकी छानबीन करने और ऐसे मदरसों को बंद करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि यूपी में ऐसे सैकड़ों मदरसे चल रहे हैं।
शुरूआती पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बिहार के दरभंगा के निवासी इरफान और अफसान दुबग्गा में अवैध मदरसा चला रहे थे। बाल आयोग के सदस्यों ने बताया है कि अवैध मदरसा संचालित करने वाले ये लोग मुस्लिम समुदाय से जकात (दान) के नाम पर पैसे लेते थे। जकात के पैसे से खुद के लिए संपत्ति बनाने का भी पता चला है। जकात में मिले पैसों से एक ट्रस्ट गठित किया गया था, जिसमें 3.5 लाख रुपए जमा हुए हैं। यही नहीं, इन पैसों से इरफ़ान और अफ़सान ने निजी जमीन भी खरीदी है। यह मदरसा आवासीय शिक्षा के नाम पर शुरू किया गया था और इसमें बच्चों को इस्लामी तालीम दी जा रही थी। संचालक, बच्चों के माता-पिता का सहमति पत्र भी नहीं दिखा पाए हैं। जिस मकान में मदरसा चल रहा था, उसका एग्रीमेंट भी नहीं है। यहाँ तक कि, वहां कोई शौचालय तक नहीं है। अब आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज कराने की तैयारी हो रही है।
वहीं, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह ने शुक्रवार (3 मई 2024) को राजकीय बालगृह का दौरा किया और बच्चों से उनका हाल जाना। वहां, सात वर्षीय एक बच्चे ने बताया कि, “अंकल जी, अम्मी-अब्बू की बहुत याद आ रही है। उन्हें बुला दीजिए।” इस अधिकारी ने कहा कि वे जल्दी आएँगे। बच्चों ने यह भी बताया कि उनको 15 दिन पहले मदरसे में लाया गया था। बता दें कि लखनऊ के दुबग्गा में अवैध तरीके से घर में एक मदरसे चल रहा था। इसके बारे में जानकारी मिलते ही 1 मई 2024 को 23 बच्चों (कुछ रिपोर्ट में 21 बच्चे) को रेस्क्यू किया गया। इसके बाद इन बच्चों को बाल संरक्षण गृह में पहुंचा दिया गया है। ये सारे बच्चे बिहार के निवासी बताए जा रहे हैं। अभी तक इन बच्चों के माता-पिता ने अपने बच्चों की खोज खबर नहीं ली है। बता दें कि, हाल ही में बाल संरक्षण आयोग और यूपी पुलिस ने अयोध्या से 95 बच्चों को ले जा रहे 5 मौलवियों को गिरफ्तार किया था। ये बच्चे भी बिहार और बंगाल के थे, जिन्हे शायद मदरसे के लिए ही लाया जा रहा था।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, लखनऊ में पंजीकृत मदरसों की कुल तादाद 131 है, जबकि 111 मदरसे अवैध रूप से चल रहे हैं। पंजीकृत मदरसों में कुल 18 ऐसे मदरसे हैं, जिन्हें सरकार अनुदान देती है। वहीं, ज्यादातर मदरसे केवल मान्यता के आधार पर चलते हैं। इन मदरसों में दी जाने वाली तालीम की जांच पर भी अक्सर सवाल उठते रहे हैं, जिसमे गैर-मुस्लिमों के खिलाफ घृणा, पढ़ना-लिखना छोड़कर जन्नत के सपने आदि हैं। अक्सर देखा गया है कि, आतंकी भी जन्नत और हुरों की लालच में ही बेकसूरों का खून बहाते हैं। ऐसे में बाल आयोग ने मदरसों की जांच करने की मांग उठाई है।
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