भोपाल: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर देशभर में भारी उत्साह है। यह हर सनातनी के लिए गर्व का क्षण हैं। सालों बाद राम लला अपने मंदिर में विराजित होने जा रहे हैं। ऐसे में कारसेवकों का भी उत्साह चरम पर है। ऐसे में कारसेवा के चलते दिव्यांग हुए मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी के राम लला के दर्शन लाभ कराने की भावुक अपील की है।
6 दिसंबर 1992 का वो दिन, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए हजारों रामभक्त अयोध्या उमड़े थे। तब उन हजारों के आंकड़े में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए भोपाल के अचल सिंह मीना भी वहां पहुंचे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 30 साल थी। अचल सिंह मीना विवादित ढांचे को गिराने के लिए ऊपर चढ़ गए थे। थोड़ी देर पश्चात् जब ढांचा गिरा, तो उसका एक हिस्सा अचल सिंह की पीठ पर गिरा तथा वो दिव्यांग हो गए। तत्पश्चात, अचल सिंह मीणा भोपाल के पास स्थित एक गांव में गुमनामी की जिंदगी गुजारने पर विवश हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन का सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। जो कभी 2 सीटों वाली राजनीतिक पार्टी थी, वो आज केंद्र में और देश के अधिकतर प्रदेशों में सरकार चला रही है। लेकिन, इस आंदोलन में कई चेहरे ऐसे थे जो गुमनाम होकर रह गए।
मीडिया से चर्चा करते हुए अचल सिंह मीणा ने इच्छा जताई है कि रामलला के दर्शन और अयोध्या में जाने का उनका सपना पूरा हो। इसके लिए अचल सिंह मीणा ने पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से गुहार लगाई है कि 22 जनवरी के बाद ही सही, किन्तु एक बार उसे रामलला के दर्शनों का लाभ करा दें। 3 दिसंबर 1992 को अचल तब 30 साल के थे। तब बजरंग दल के जिला संयोजक तथा वर्तमान में भोपाल की कोलार सीट से MLA रामेश्वर शर्मा के साथ भोपाल से पुष्पक एक्सप्रेस में बैठकर लखनऊ और फिर वहां से फैजाबाद पहुंचे थे। 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के चलते गुंबद के एक हिस्से का मलबा अचल की पीठ पर गिरा तथा कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। अचल को पहले फैजाबाद में भर्ती करवाया तथा उसके बाद गांधी मेडिकल कॉलेज लखनऊ ले गए, जहां उसे होश आया। तब से वो चल नहीं सकते।
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