देश के कई हिस्सों में बारिश के कहर के बीच आपदा प्रबंधन अधिनियम पेश, नुकसान रोकने के लिए बनाई ये नीति

देश के कई हिस्सों में बारिश के कहर के बीच आपदा प्रबंधन अधिनियम पेश, नुकसान रोकने के लिए बनाई ये नीति
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने आज गुरुवार (1 अगस्त) को संसद में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया। दरअसल, इस सप्ताह बारिश से संबंधित घटनाओं में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें केरल के वायनाड को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। सरकार इस अधिनियम में संशोधन कर इसे और प्रभावी बनाना चाहती है, ताकि आपदा से होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके और लोगों की जान बचाई जा सके। 

संशोधित विधेयक में आपदा का समय पर आकलन और उपाय करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस बनाने का प्रावधान शामिल है। इसमें राज्यों की राजधानियों और प्रमुख शहरों के लिए शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के गठन की भी मांग की गई है। आपदा डेटाबेस में केंद्र द्वारा निर्धारित निधि आवंटन विवरण, व्यय, तथा तैयारी और शमन योजना शामिल होगी। पिछले 24 घंटों में सात राज्यों में वर्षाजनित घटनाओं में 32 लोगों की मौत हो गई है, जबकि केरल के खूबसूरत वायनाड में भीषण भूस्खलन के कारण 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वायनाड भूस्खलन को "गंभीर प्रकृति की आपदा" घोषित करने का आग्रह किया है ताकि प्रभावित क्षेत्रों में सांसदों से तत्काल सहायता मिल सके। वायनाड में बचाव अभियान गुरुवार को तीसरे दिन भी जारी रहा, अधिकारी अभी भी लापता लोगों की सही संख्या का पता लगाने में जुटे हुए हैं। कीचड़ भरी मिट्टी और भारी बारिश जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों ने बचाव अभियान में बाधा उत्पन्न की है। वहीं, हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बादल फटने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, तथा कई अन्य लापता हैं। इस आपदा ने हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में भारी तबाही मचाई तथा कई घरों, स्कूलों और अस्पतालों को नुकसान पहुंचा।

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