भारत-चीन बॉर्डर से हटने लगा तामझाम, मोदी-जिनपिंग के समझौते का जमीनी असर

भारत-चीन बॉर्डर से हटने लगा तामझाम, मोदी-जिनपिंग के समझौते का जमीनी असर
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नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच सीमा पर पिछले चार वर्षों से जारी तनाव अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में रूस के कज़ान में आयोजित BRICS समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई, जिसका सकारात्मक असर बॉर्डर पर भी देखने को मिल रहा है। इस बातचीत के दौरान, भारत ने आपसी विवादों और मतभेदों को हल करने पर जोर दिया।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हाल ही में समझौते और मोदी-शी मुलाकात के बाद सेनाओं का डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। देपसांग और डेमचौक में स्थानीय कमांडर इस प्रक्रिया पर नजर रख रहे हैं। डेमचौक में अब तक दोनों पक्षों से कुल पांच टेंट हटा दिए गए हैं और यह प्रक्रिया जारी है। गुरुवार रात तक लगभग आधा कार्य पूरा हो चुका था। सभी अस्थायी ढांचे हटने के बाद एक संयुक्त सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो जमीन पर और हवाई सर्वेक्षण के माध्यम से की जाएगी। वर्तमान में, दोनों पक्ष आपसी विश्वास के आधार पर इस ऑपरेशन को आगे बढ़ा रहे हैं। डेमचौक में, भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर जा रहे हैं। 

वहीं, देपसांग में चीनी सेना ने तिरपाल का उपयोग करके अस्थायी आश्रय स्थल बनाए हैं, लेकिन यहां टेंट नहीं हैं। अब तक आधे ढांचे हटा दिए गए हैं और चीनी सेना ने अपने वाहनों की संख्या कम कर दी है, जबकि भारतीय सेना ने भी कुछ सैनिकों की संख्या में कमी की है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद कोर कमांडर स्तर की 22वें दौर की वार्ता की संभावना है। दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडर प्रतिदिन सुबह हॉटलाइन कॉल के माध्यम से चर्चा करते हैं और तयशुदा प्वॉइंट पर मिलते हैं। हालांकि, गलवान सहित चार बफर जोन पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। 

विदेश मंत्रालय (MEA) ने पहले ही बताया था कि भारत और चीन ने टकराव वाली जगहों पर गश्त फिर से शुरू करने के एक सफल समझौते पर पहुंच गए हैं। यह समझौता गहन कूटनीतिक प्रयासों और सैन्य कमांडरों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद संभव हो सका।  ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, मोदी और शी ने सीमा पर शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और मौजूदा तंत्रों के माध्यम से संचार बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी बैठक को तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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