तलाक याचिका खारिज कर बॉम्बे HC ने की अहम टिप्पणी, कहा- 'घर का काम करना सिर्फ पत्नी की जिम्मेदारी नहीं'

तलाक याचिका खारिज कर बॉम्बे HC ने की अहम टिप्पणी, कहा- 'घर का काम करना सिर्फ पत्नी की जिम्मेदारी नहीं'
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मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक शख्स द्वारा अपनी शादी को समाप्त करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि आधुनिक समाज में घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ पति एवं पत्नी दोनों को समान तौर पर उठाना पड़ता है। घर की महिला से पूरी तरह से घरेलू जिम्मेदारियां उठाने की उम्मीद करने वाली मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है।

दरअसल, न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे एवं न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की पीठ एक शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक पारिवारिक न्यायालय द्वारा मार्च 2018 में दिए गए उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसकी पत्नी से तलाक की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। इस जोड़े ने 2010 में बिहार में शादी की और 2011 में पुणे में कोर्ट मैरिज की। बाद में उन्हें एक बच्चा भी हुआ। अदालत में एक व्यक्ति ने क्रूरता का आरोप लगाते हुए इस आधार पर तलाक मांगा था कि उसकी पत्नी हमेशा अपनी मां के साथ फोन पर रहती है तथा घर का काम नहीं करती। दूसरी तरफ महिला ने दावा किया कि ऑफिस से घर लौटने के पश्चात् उसे घर का सारा काम करने के लिए विवश किया जाता था तथा जब वह अपने परिवार से बात करती तो उसे बुरा बर्ताव का सामना करना पड़ता है। उसने यह भी दावा किया कि उसके अलग रह रहे पति ने कई बार उसके साथ मारपीट भी की।

अपने आदेश में पीठ ने कहा कि पुरुष और महिला दोनों कार्यरत हैं तथा यह अपेक्षा करना कि पत्नी घर का सारा काम करेगी, एक प्रतिगामी मानसिकता को दर्शाता है। वैवाहिक संबंध के परिणामस्वरूप साथी को उसके माता-पिता से अलग नहीं किया जा सकता है तथा उससे शादी के पश्चात् अपने माता-पिता के साथ सभी संबंध तोड़ने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। पीठ ने कहा, "किसी के माता-पिता के संपर्क में रहने को किसी भी ओर से दूसरे पक्ष को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के रूप में नहीं माना जा सकता है। हमारे विचार में, प्रतिवादी पर अपने माता-पिता के साथ संपर्क कम करने के लिए पाबंदी लगाना वास्तव में पत्नी को शारीरिक क्रूरता के अतिरिक्त मानसिक तौर पर परेशान करना है। यह जोड़ा 10 वर्षों से अलग रह रहा है। हालांकि पीठ ने कहा कि वह इस आधार पर तलाक नहीं दे सकती कि दोनों की दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं है।" 

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