श्रीनगर : थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए शुक्रवार को आतंकी व अलगाववादी समर्थकों ने खुलेआम पाकिस्तान और आइएस के झंडे लहराए.घाटी में 33 सप्ताह बाद पहली बार शुक्रवार को हड़ताल तो नहीं हुई, लेकिन श्रीनगर के डाउन-टाउन के अलावा दक्षिण कश्मीर से लेकर उत्तरी कश्मीर के सोपोर तक नमाज-ए-जुमा के बाद खूब हिंसा हुई.एक दर्जन लोग जख्मी हो गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भड़काऊ नारों के साथ जमकर देश विरोधी नारेबाजी भी की.
हालाँकि जुलाई में आतंकी बुरहान की मौत के बाद कश्मीर में यह पहला शुक्रवार था, जब पूरी बादी में कहीं भी अलगाववादियों ने बंद और हड़ताल का आह्वान नहीं किया था. इसका असर सामान्य जनजीवन पर पूरी तरह नजर आया और सभी दुकानें व अन्य प्रतिष्ठान खुले रहे.प्रशासन ने अलगाववादियों द्वारा नमाज-ए-जुमा के बाद राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों के एलान को देखते हुए सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे.लेकिन नमाज ए जुमा के बाद हालात बदलने लगे और विभिन्न इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया.
सबसे ज्यादा हिंसा श्रीनगर में डाउन- टाउन के नौहट्टा स्थित एतिहासिक जामिया मस्जिद के बाहर हुई. आजादी समर्थक नारेबाजी कर रही भीड़ ने पाकिस्तान और आतंकी संगठनों के झंडे भी लहराए और उनके समर्थन में नारे भी लगाए. पहले तो सुरक्षाकर्मियों ने पूरा संयम बरता, लेकिन जब पथराव कर रहे युवकों ने सुरक्षाबलों के एक वाहन को चारों तरफ से घेरते हुए उसे आग लगाने कि कोशिश की तो उन्होंने भी लाठियां और आंसूगैस के गोलों का इस्तेमाल किया.विभिन्न हिस्सों में पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों का दौर शुरू हो गया.अलगाववादियों ने सुरक्षाबलों पर पथराव करते हुए सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया.
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