हिंसा पर बयानबाजी तो बहुत होती है लेकिन एक्शन नहीं लिया जाता

हिंसा पर बयानबाजी तो बहुत होती है लेकिन एक्शन नहीं लिया जाता
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अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गौहत्या रोकने के नाम पर होने वाली हिंसाओं को गलत बताते हुए इनका विरोध किया गया। इसके बाद राजनीति गर्मा गई। इस मामले में कांग्रेस और आरएसएस नेताओं से मीडिया ने चर्चा की तो दोनों ने एक दूसरे को जिम्मेदार बताया और परस्पर कहा कि उन्हें अपनी भूमिका तय करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर कांग्रेस नेता टाॅम वडुक्कन आलोचना करते हुए कहा कि सत्तापक्ष को जमीनी हालात देखना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी अपने स्थान पर है लेकिन गौहत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। जो कि नहीं उठाए जा रहे हैं। संबंधित मामले में जांच दल अपने कार्य ठीक तरह से करें। जिस तरह की घटनाऐं उत्तरप्रदेश में हुई हैं उन्हें लेकर एक्शन लेना चाहिए। बयान तो प्रधानमंत्री बहुत देते हैं मगर एक्शन नहीं लिया जाता है।

हालांकि यह बात नहीं है कि प्रधानमंत्री अकेले इन बातों के लिए जवाबदार हैं लेकिन प्रधानमंत्री की बात भी सुनी जाना चाहिए यदि कुछ संगठन बात नहीं सुनते हैं तो फिर ऐसे बयानों का कोई अर्थ नहीं है। इस मामले में आरएसएस के नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नहीं बोलते तो कहा जाता है कि कुछ नहीं बोलते जब बोलते हैं तो कहा जाता है कि बोल रहे हैं। विपक्ष की भूमिका इस तरह की नहीं होना चाहिए।

हिंसा के मामलों में वामपंथी समझ नहीं पा रहे हैं कि जो वह कर रहे हैं वह भारत की प्रतिष्ठा के लिए उचित नहीं है। आरएसएस इस तरह की हिंसक घटनाओं से संबंधित नहीं है। गौहत्या या अन्य मामलों में कांग्रेस दूसरों को नसीहत न दे। कुछ स्थान पर गौहत्या हुई तो उसमें लिप्त एक कार्यकर्ता कांग्रेस का था। यह आम बात नहीं है।

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