चेन्नई: जल संसाधन मंत्री दुरईमुर्गन के नेतृत्व में तमिलनाडु का एक प्रतिनिधिमंडल कावेरी जल बंटवारे के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिलने आज सोमवार (18 सितंबर) को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचा है, जो पड़ोसी राज्य कर्नाटक के साथ विवाद का विषय रहा है। हालाँकि, ये भी गौर करने वाली बात है कि, तमिल नाडु की सत्ताधारी DMK और कर्नाटक पर शासन कर रही कांग्रेस, दोनों विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का हिस्सा हैं, लेकिन आपसी विवाद ही नहीं सुलझा पा रहे हैं। कावेरी जल विवाद को सुलझाने के लिए DMK का प्रतिनिधिमंडल उसी केंद्र सरकार के पास पहुंचा है, जिसके खिलाफ 26 विपक्षी दलों का गठबंधन बनाया गया है। ऐसे में इसे I.N.D.I.A.गठबंधन में दरार के रूप में भी देखा जा रहा है।
तमिलनाडु के मंत्री दुरईमुरुगन ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले कहा कि, 'कावेरी जल विनियमन समिति ने पहले ही कर्नाटक सरकार को 15 दिनों के लिए 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने की सिफारिश की है। लेकिन कर्नाटक सरकार ने उस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। वे पानी की एक बूंद भी नहीं छोड़ रहे हैं, इसलिए, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को कर्नाटक सरकार को निर्देश या आदेश देना चाहिए। इसीलिए, हम उनसे मिलने जा रहे हैं।' DMK मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 'कावेरी से पानी मांगना हमारा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह साफ कहा गया है। कर्नाटक यह नहीं कह सकता कि वह केवल तभी पानी दे सकता है जब बारिश हो और अधिक पानी हो बल्कि उसे कम पानी होने पर भी पानी छोड़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर पानी कम भी हो, तो भी तय समय के मुताबिक तमिलनाडु को छोड़ा जाना चाहिए।'
उन्होंने कर्नाटक पर सर्वोच्च न्यायालय और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के आदेशों का पालन नहीं करने का इल्जाम लगाया। दुरईमुरुगन ने कहा कि, 'हमने कर्नाटक सरकार को हमें हमारा उचित पानी देने का निर्देश नहीं दिया है। कर्नाटक में बांधों की उपलब्धता की गणना करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने उन्हें पानी छोड़ने का आदेश दिया था जो दोनों राज्यों के लिए सामान्य है। पिछले हफ्ते, कावेरी जल नियामक समिति (CWRC) ने कर्नाटक को अतिरिक्त 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश जारी किया था।
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