कहते हैं नहं कुछ भी करे की ठान ले तो कर ही लेते हैं। बस उसे करने के लिए खुद पर यकीन होना चाहिए। ऐसा ही कुछ किया है रूद्रप्रयाग जिले के भीरी गांव की दिव्या रावत ने जो आज बहुत ही कामयाब है। जब भी हम किसान की बात करते हैं तो हम यही सोचते हैं कि होगा कोई।
वही हम बात कर रहे हैं महिला किसान की जिसने इस बात को गलत साबित कर दिया है। बता दे कि इस लड़की को उत्तराखंड में मशरुम लड़की के नाम से जानते हैं। दरअसल, पहाड़ों पर बढ़ते पलायन को रोकने के लिए दिव्या ने अपनी फार्मासिस्ट की नौकरी तक छोड़ दी और गाँव में रहकर खेती करने की सोची।
हालाँकि घरवाले इस बात के खिलाफ थे फिर भी उसने ये काम किया। तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद दिव्या 30 से 40 हजार रुपए तक कमा लेती हैं। वहीँ दिव्या इस मशरूम की खेती से साला के करीब एक करोड़ से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं। और इस खेती में उन्होंने अपने जैसी कई महिलाओं को काम भी दिया जो पहाड़ों पसर बेरोजगार घूमती थी।
इसी बात के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। इस पर दिव्या कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान जब कभी वो घर लौटती थीं तो ज्यादातर घरों में ताले लगे होते थे क्युकी काम के लोए लोग दिल्ली जैसे शहर में भाग रहे थे। और इतना ही नहीं अब पहाड़ों पर रहने वाले बेरोजगार को भी नौकरी मिल गयी।
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