कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी गणेश की खास तौर पर पूजा की जाती है। दरअसल, कुछ मान्यताओं के मुताबिक इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन हुआ था। साथ-साथ प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी हुई थी। इसलिए राम दरबार की उपासना भी दिवाली पूजन के दौरान की जाती है। जानिए दीपों के पर्व दीपावली पर कैसे करें पूजन…
दीपावली पूजन विधि:
1. एक चौकी लें उस पर साफ कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, सरस्वती एवं गणेश जी की मूर्ति रखें। प्रतिमा का मुख पूर्व अथवा पश्चिम की ओर होना चाहिए।
2. अब हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर उनकी मूर्ति पर इस मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें।
ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
3. जल अपने आसन तथा अपने आप पर भी छिड़कें।
4. इसके पश्चात् मां पृथ्वी को प्रणाम करें तथा आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें।
5. इसके बाद एक जल से भरा कलश लें जिसे लक्ष्मी जी के पास चावलों के ऊपर रखें। कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। साथ-साथ उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।
6. अब इस कलश पर एक नारियल रखें। नारियल लाल वस्त्र में इस तरह लपेटें कि उसका अग्रभाग नजर आता रहे। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
7. अब नियमानुसार सबसे प्रथम गणेश जी की उपासना करें। फिर लक्ष्मी जी की पूजा करें। इसी के साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली तथा कुबेर की भी विधि विधान पूजा करें।
8. पूजा करते वक़्त 11 या 21 छोटे सरसों के तेल के दीये तथा एक बड़ा दीया जलाना चाहिए। एक दीया चौकी के दाईं तरफ एक बाईं तरफ रखना चाहिए।
9. भगवान के बाईं ओर घी का दीया जलाएं। तथा उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई चढ़ाएं।
10. आखिर में गणेश जी तथा माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा पूर्ण करें।
11. जलाए गए 11 अथवा 21 दीयों को घर के सभी द्वारों के कोनों में रख दें।
12. इस दिन पूजा घर में पूरी रात्रि एक घी का दीया भी जलाया जाता है।
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