आज देश में दिवाली मनाई जा रही है। दीपावली पर मां लक्ष्मी आपके घर पधारती हैं, इसलिए घर के गेट पर आम अथवा पीपल के नए कोमल पत्तों तथा गेंदे के पुष्पों की माला बनाकर सजाना चाहिए। इसे वंदनवार अथवा तोरण कहा जाता है। दीपावली पर आम के पत्तों की तोरण लगाना बेहद ही शुभ रहता है। आम के पत्तों का इस्तेमाल देव पूजा करने के लिए भी किया जाता है। इससे मां लक्ष्मी खुश होती हैं। दीपावली पर द्वार या फिर आंगन के बीचों-बीच पुष्पों तथा रंगों से रंगोली बनाने की प्रथा काफी पूर्व से चली आ रही है। रंगोली अथवा मांडना का 'चौंसठ कलाओं' में स्थान माना जाता है। इसलिए हर पर्व एवं मांगलिक मौकों पर घर-आंगन को रंगोली से सजाया जाता है। मां लक्ष्मी के स्वागत में आप भी अपने घर पर रंगोली अवश्य बनाएं।
आज के समय में मिट्टी के दीयों का स्थान मार्केट की लाइटों तथा मोमबत्तियों ने ले लिया है। किन्तु दीपावली पर मिट्टी के बने हुए पारंपारिक दीयों को जलाना ही शुभ रहता है। क्योंकि इसमें मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि तथा वायु सभी का मिश्रण होता है। इसलिए अनुष्ठान में मिट्टी के दीयें जलाने काफी अच्छा रहता है। मिट्टी के दीयें में तेल डालकर जलाने का महत्व वैज्ञानिक रूप से भी माना जाता है। हिंदू धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य में मंगल कलश रखने की प्रथा है। इसलिए दीपावली पर भी एक कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते लगाकर रखना चाहिए। नारियल के मुख पर नारियल भी लगाना चाहिए। कलश पर रोली से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं तथा कलश की मुख पर मौली बांधनी चाहिए।
देवी लक्ष्मी तथा प्रभु श्री विष्णु दोनों को ही शंख प्रिय है। मान्यता है कि जहां पर शंख रखा होता है मां लक्ष्मी वास करती हैं साथ-साथ विष्णु जी भी खुश होते हैं। शंख बजाने से हर स्थान पर सकारात्मकता का संचार हो जाता है। इसलिए दीपावली पर अपने घर में शंख बजाएं। स्वास्तिक का चिह्न बेहद ही शुभ माना जाता है। प्रत्येक मांगलिक कार्य में स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है। इसे खुद प्रभु श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसलिॆए दीपावली पर घर की दिवारों द्वारों के साथ कलश पर स्वास्तिक का चिह्न जरूर बनाएं।
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