दिवाली का त्योहार 25 अक्टूबर धनतेरस से शुरू हो रहे है. अगले पांच दिनों तक घरों में दियो की रौनक रहेगी. ज्योतिष की माने तो इस बार पांच दिन दीप उत्सव में नरक चौदस और दीपावली एक दिन मनाई जा रही है. सुबह 12:21 बजे तक नरक चौदस है, इसके बाद ठीक शाम 6 बजे से अमवस्या शुरू होगी. इस समय दीपावली का पूजन करना श्रेष्ठ माना जायेगा. उन्होंने कहा कि करीब 50 साल बाद ऐसा योग है, जिसमें नरक चौदस और दीपावली दोनों मनाया जायेगा. हालांकि दीपावली में रात को पूजा करने के विधान को देखते हुए 27 अक्टूबर को ही दीपावली शुभ माना जाता है.
25 अक्तूबर को धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में जा रहा है .इस दिन भगवान कुबेर की पूजा के साथ लोग माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा करेंगे. धनतेरस के तीसरे दिन ही अमावस्या तिथि में दीपावली मनाई जाएगी. भाई दूज पर पर जाकर पांच दिनों का त्यौहार समाप्त होगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है.इस बार भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जायेगा भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद होगा. इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना करते हुए उनके माथे पर रोली चंदन का तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.यह माना गया है कि इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई इच्छा पूर्ण करते हैं. इस दिन बहनो के घर जा कर उनके हाथो का बना भोजन करना फलदायी माना जाता है.
27 को दीपावली, सुबह रूप चौदस का योग भी रविवार सुबह चौदस तिथि रहेगी और शाम को अमावस्या रहेगी. 27 अक्टूबर को भी सुबह रूप चौदस रहेगी और प्रदोष कालीन अमावस्या रात में होने से दीपावली 27 को ही मनाना शुभ है. जो लोग अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहते हैं, वे सोमवार 28 अक्टूबर की सुबह श्राद्ध कर सकेंगे .
जिसकी हथेली में होता है यह निशान, उसे नहीं होती कभी किसी सुख की कमी
मौत से पहले आपके पास होंगी यह 4 चीज़ें तो आपको भी मिलेगा स्वर्ग