आप सभी को बता दें कि हर साल काली पूजा की जाती है. ऐसे में इस साल काली पूजा 7 नवंबर को है यानि दिवाली वाले दिन.आप सभी को बता दें कि कलिकाल में हनुमान, दुर्गा, कालिका, भैरव, शनिदेव को जाग्रत देव माना गया है और वहीं भगवान शंकर की चार पत्नियां में से एक मां काली को सबसे जाग्रत देवी कहा जाता है. कहते हैं शिव की पहली पत्नी दक्ष-प्रसूति कन्या सती थी और दूसरी हिमालय पुत्री पार्वती थी वहीं तीसरी उमा और चौथी कालिका. ऐसे में कालिका की उपासना जीवन में सुख, शांति, शक्ति, विद्या देने वाली बताई गई है, लेकिन यदि उनकी उपासना में कोई भूल होती है तो फिर इसका परिणाम भी भुगतना होता है.
आप सभी को बता दें कि इस बार काली पूजा कल यानी दिवाली वाले दिन की जाने वाली है. वहीं कहा जाता है कालका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम-पता दर्ज हो जाता है और यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी मिलता ही है. वहीं कहते हैं अगर काली माँ के मंदिर में आशीर्वाद मिलता है तो शाप भी मिलता है.
वहीं यदि मन्नत पूर्ण होने के बदले में जो भी वचन दिया है तो उसे तुरंत ही पूरा कर दें क्योंकि जिस प्रकार अग्नि के संपर्क में आने के पश्चात् पतंगा भस्म हो जाता है, उसी प्रकार काली देवी के संपर्क में आने के उपरांत साधक के समस्त राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म हो जाते हैं. इस वजह से काली पूजा का बहुत महत्व और लाभ होता है एक बार जो काली माँ का भक्त बन जाता है उसकी जिंदगी सफल हो जाती है.
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