इस बार अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) का संयोग बन रहा है। जी दरअसल सबसे खास बात तो यह है कि दो दिन अमावस्या तिथि होने से सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) की पूर्व संध्या पर महालक्ष्मी पूजा कर दीपावली (Diwali 2022) का पर्व मनाया जाएगा। आप सभी को बता दें कि इसके अगले दिन सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सुबह से सूतक (Sutak Time) लगेगा। ऐसा होने के चलते दिनभर मंदिरों के पट बंद रहेंगे। जी हाँ और उसके बाद शाम के समय सूर्य ग्रहण समाप्त होगा और फिर मंदिरों की साफ-सफाई करके पट खोले जाएंगे। अंत में शयन आरती के पश्चात फिर मंदिर बंद कर दिए जाएंगे।
ऐसे रहेगा ग्रहण काल
सूतक प्रारंभ - सुबह - 5.51 बजे से
ग्रहण स्पर्श - शाम - 4.51 बजे से
ग्रहण मोक्ष - शाम - 5.29 बजे
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सूतक के पूर्व करें पूजा- 25 अक्टूबर को सुबह 5.51 बजे से ग्रहण का सूतक लगेगा इसलिए 24 अक्टूबर की रात्रि में ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। जी हाँ, हालाँकि ग्रहण काल से पहले सूतक के दौरान पूजा घर अथवा मंदिरों में देव प्रतिमाओं का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसी के साथ रात्रि में दीपावली पूजन के बाद सूतक लगने से पहले पूजा घर में रखे गए जेवर, रुपये को उठा लें और पूजा घर में पर्दा लगा लें।
मूर्तियों को स्पर्श न करें- सूतक लगने से पहले तक पूरी रात माँ महालक्ष्मी जी की पूजन कर सकते है। सूतक व ग्रहण काल मे देवमूर्ति का स्पर्श निषेध माना गया है। इस वजह से सूतक लगने के पहले ही पूजन स्थल पर रखे जेवर गहने नगद राशि आदि को उठा कर सुरक्षित जगह पर रख लेवें , पूजन स्थल में पर्दा लगा कर रख देवें।
ग्रहण में करें मंत्र जाप- ग्रहण का मोक्ष होने के पश्चात स्नान करके, जनेऊ, कलाई में बंधी मौली बदलकर पूजा घर की सफाई करके पूजन, आरती करें।
ग्रहण काल में भोजन न करें- जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल में भोजन नहीं करना चाहिए। इस दौरान जितने अन्न का सेवन किया जाता है, उतने वर्ष तक अरुन्तुद नरक में वास करना पड़ता है। हालाँकि केवल बाल, वृद्ध, गर्भवती को ग्रहण के डेढ़ प्रहर यानी साढ़े चार घंटे पहले भोजन करने की छूट है।
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