कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शादी समारोहों में फिर से डीजे की धुन पर थिरकने का रास्ता साफ कर दिया है. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश के अंदर डीजे बजाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी. जिसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शादी या अन्य समारोहों में डिस्क जॉकी (डीजे) चलाकर आजीविका कमाने वाले पेशेवरों को भी राहत दी है. अदालत ने वैवाहिक सीजन की शुरुआत से ठीक पहले उत्तर प्रदेश सरकार को नियमों के तहत इन लोगों को डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश जारी किया था.
हम आपको बता दें कि 20 अगस्त 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के मद्दनेजर राज्य में डीजे चलाने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि डीजे से तेज आवाज में निकलने वाली ध्वनि लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, खासकर बच्चों के लिए. हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर डीजे न्यूनतम आवाज में भी बजाई जाए, तो भी वह नियम के तहत तय स्वीकृत डेसीबल रेंज से अधिक होती जा रही है.
वही इसके खिलाफ विकास तोमर और अन्य ने याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य सरकार उनकी तरफ से शादियों में डीजे बजाने की इजाजत मांगने के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद-16 का उल्लंघन बताते हुए इसके चलते अपने बेरोजगार हो जाने की दुहाई दी. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि वे शादी सहित अन्य विशेष समारोहों में डीजे सेवा मुहैया कराने केव्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
14 अक्तूबर को भी दिया था आदेश: मिलीं जानकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने 14 अक्टूबर 2019 को भी कुछ लोगों की याचिका पर हाइकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाई गई थी. साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. हालांकि पीठ ने साफ किया था कि यह आदेश सिर्फ इन याचिकाकर्ताओं तक ही सीमित रहा.
सूत्रों का मानना है कि शीर्ष अदालत की पीठ ने इस आदेश का बुधवार को भी संज्ञान लिया और राज्य सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आने के आधार पर ही डीजे संचालकों को अंतरिम राहत के लिए आदेश जारी करने की बात की गई है.
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