'ED के सामने पेश होना है या नहीं, नेताओं से चर्चा कर बताऊंगा..', बोले कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार

'ED के सामने पेश होना है या नहीं, नेताओं से चर्चा कर बताऊंगा..', बोले कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार
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बैंगलोर: कर्नाटक कांग्रेस इकाई के प्रमुख डी के शिवकुमार ने आज गुरुवार को कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉंड्रिंग मामले में 7 अक्तूबर को दिल्ली में एजेंसी के सामने पेश होने से छूट की उनकी याचिका को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद फैसला लेंगे कि एजेंसी के समक्ष पेश होना है या नहीं। ED ने शिवकुमार को एक नए समन में शुक्रवार को पेश होने को कहा है।

आय से अधिक संपत्ति रखने से सम्बंधित एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग के केस में 60 वर्षीय पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवकुमार से ED ने 19 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम बार पूछताछ की थी। मामले में कांग्रेस की अंतिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछताछ की जा चुकी है। ताजा समन ऐसे वक़्त में जारी किया गया है, जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में 'भारत जोड़ो यात्रा' शुक्रवार को कर्नाटक पहुंची है। यात्रा राज्य में 21 दिनों तक चलेगी। इसमें शिवकुमार भी शामिल हैं।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस:-

बता दें कि देश के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का गठन किया था। इसका मकसद अलग-अलग भाषाओं में अख़बारों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबार छपते थे। भले ही AJL के गठन में नेहरू की भूमिका थी, किन्तु इस पर मालिकाना अधिकार कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी समर्थन कर रहे थे और वही इसके शेयरधारक भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। वर्ष 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब अख़बारों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी के बिजनेस में उतर गई।

2010 में AJL के 1057 शेयर होल्डर थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) को हस्तांतरित कर दी गई। YIL की स्थापना उसी साल यानी 2010 में की गई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी निदेशक के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 फीसद हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास गई। बाकी 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का देहांत हो चुका है) के पास थी। 

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